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अमेरिका के दबाव में की पाक से बात-आडवाणी

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नई दिल्ली , मंगलवार, 2 मार्च 2010 (15:46 IST)
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भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता शुरू करने के लिए संप्रग सरकार की पहल को ‘अपमानजनक’ बताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि सीमा पार से आतंकवाद पर रोक लगने तक वार्ता कोई अनुकूल कूटनीतिक विकल्प नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिकी दबाव के चलते पाकिस्तान के साथ बातचीत के मुद्दे पर सरकार ने यू टर्न लिया है।

आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि पिछले दिनों इंदौर में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा और जम्मू-कश्मीर पर पेश प्रस्ताव में साफ कहा गया है कि राजग की नीति ‘आतंकवाद के बिना वार्ता’ है, जबकि संप्रग के मामले में ‘वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ चल सकते हैं।’

हम कहते रहे हैं कि जब तक भारत आतंकवाद का शिकार है, तब तक वार्ता कोई अनुकूल कूटनीति नहीं है। आडवाणी के अनुसार वार्ता के बाद विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने संसद में दिए संबंधित बयान में वार्ता को ‘रचनात्मक और उपयोगी’ बताया, लेकिन करीब 500 शब्दों के बयान से जो ठोस नतीजा दिखाई दिया, वह महज़ यह था कि विदेश सचिव एक-दूसरे से संपर्क बनाए रखने के लिए सहमत हो गए हैं।

राजग के कार्यकारी अध्यक्ष ने लिखा है-सरल शब्दों में बयान के अंतिम पैरे को इस तरह समझा जा सकता है कि आतंकवाद के बारे में हमारी चिंता पर पाकिस्तान की जो प्रतिक्रिया रहेगी, उस पर ही उसके साथ वार्ता निर्भर करेगी जैसा कि मुंबई हमलों के बाद हुआ है।

प्रधानामंत्री कह चुके हैं कि हमारे रुख में कोई नरमी नहीं आई है और न ही आतंकवाद के खात्मे के लिए हमारे संकल्प में कोई कमी आई है। संवाद का आदान-प्रदान और वार्ता आगे बढ़ने का बेहतर उपाय है।

इस पर आडवाणी ने सवाल किया क्या बातचीत का पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को त्यागने से कोई सरोकार था या फिर यह वैसा ही है जैसा शर्म अल शेख में प्रधानमंत्री ने कहा था। उस बयान में कम से कम एक बात तो साफ थी लेकिन इस नवीनतम बयान में केवल विरोधाभास है।

ब्लॉग में कहा गया मैंने पहले भी कहा है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के मुद्दे पर सरकार का यू टर्न अमेरिका के दबाव में लगता है। (भाषा)

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