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आईएमए में अमिताभ बच्चन का सम्मान

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इंदौर , गुरुवार, 16 जनवरी 2014 (22:03 IST)
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इंदौर। 'अगर मैं अपने काम से संतुष्ट हो जाऊंगा और यह सोचने लगूंगा कि मैंने अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ अभिनय कर लिया है, तो एक अभिनेता के तौर पर मेरी मौत हो जाएगी। मैं उम्मीद करता हूं कि हर रोज अभिनय की नई चुनौतियों का सामना करूं।'

यह बात सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने गुरुवार को इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा खेल प्रशाल में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन कही। आईएमए के 23वें अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन अधिवेशन के उद्‍घाटन सत्र में अमिताभ बच्चन को 'लाइफ टाइम एक्सीलेंस अवॉर्ड' से नवाजा गया।

अभिनय की दुनिया से संन्यास लेने की किसी भी योजना से उन्होंने साफ इंकार किया। हर रोज अदाकारी की नई चुनौतियों का सामना करने को उत्सुक ‘बिग बी’ को लगता है कि अगर वे अभिनय छोड़ देंगे, तो शायद बीमार हो जाएंगे। सम्मान के बाद अमिताभ बच्चन ने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'मुझे ऐसे सवालों का अकसर सामना पड़ता है कि मैं 71 साल की उम्र में आखिर काम क्यों कर रहा हूं। मुझे लगता है कि अगर मैं काम नहीं करूंगा, तो शायद बीमार हो जाऊंगा। हम सबके लिए काम करना बहुत जरूरी है, क्योंकि काम हमारे शरीर और दिमाग को व्यस्त रखता है।'

‘बिग बी’ ने एक सवाल पर कहा कि 90 के दशक में मुझे मेरे परिजनों और कुछ अन्य करीबी लोगों ने कहा कि मैं बहुत काम कर चुका हूं और मुझे थोड़ा अवकाश लेना चाहिए। इस सलाह पर मैंने तीन-चार साल तक विश्राम करते हुए फिल्मों में काम नहीं किया, लेकिन बाद में मुझे महसूस हुआ कि यह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा फैसला था।’

बॉलीवुड के महानायक ने एक सवाल पर गर्दिश के उस दौर को भी याद किया, जब उनकी कंपनी एबीसीएल बदहाल हो चुकी थी और वे हर रोज उन लोगों के तकादे झेल रहे थे, जिन्होंने उन्हें यह कंपनी शुरू करने के लिए रकम उधार दी थी।

अमिताभ ने यादों की गलियों में कदम रखते हुए कहा कि मैं उस दौर में एक सुबह फिल्मकार यश चोपड़ा के घर पहुंचा और उनसे कहा कि मेरे पास कोई काम नहीं है और मेरे बैंक खातों में नकदी खत्म हो चुकी है। तब उन्होंने मुझे एक फिल्म में काम करने की पेशकश की और मैंने उनके साथ काम करना शुरू किया।

उन्होंने कहा कि मुझे उस दौर में 'कौन बनेगा करोड़पति' नाम के टीवी शो की मेजबानी का मौका भी मिला। इसके बाद मैं अपने प्रयासों से सारी उधारी चुकाने में कामयाब रहा।’ उम्र के 70 बसंत देख चुके इस अभिनेता ने कहा, ‘आज मैं यह सोचकर अच्छा महसूस करता हूं कि मुझे परेशानियों के दौर से गुजरना पड़ा। इन परेशानियों ने मुझे प्रबंधन के कई सबक सिखाए।’

अमिताभ ने एक सवाल पर कहा कि ‘जब भारत को विकासशील मुल्क या तीसरी दुनिया का देश कहा जाता है, तो मुझे इस संबोधन से घृणा होती है। मैं मानता हूं कि भारत में अपनी युवा शक्ति के बूते विकसित और पहली दुनिया का मुल्क बनने की पूरी ताकत है।'

उन्होंने अपने पिता और हिन्दी के मशहूर कवि हरिवंशराय बच्चन और माता तेजी बच्चन को भी शिद्दत से याद किया। अमिताभ ने कहा कि वे पूर्व और पश्चिम की संस्कृतियों के मिलेजुले माहौल में बड़े हुए और इससे उन्हें जीवन को समझने में खासी मदद मिली।

‘बिग बी’ ने बताया कि बचपन में मुझे सिनेमाघर में कोई भी फिल्म देखने की अनुमति तब ही मिलती थी, जब मेरे माता-पिता पहले खुद यह फिल्म देख लेते थे। वे ही तय करते थे कि कोई फिल्म मेरे देखने योग्य है या नहीं।

उन्होंने कहा कि गुजरे बरसों में हिन्दी सिनेमा ने काफी तरक्की की है और अब यह वैश्विक स्तर पर पहचाना जाने लगा है। अमिताभ ने कहा कि सिनेमाघर में हम एकसाथ हंसते-रोते और गुनगुनाते हैं, यह सोचे बगैर कि हमारी बगल वाली सीट पर किस रंग, जाति या मजहब का आदमी बैठा है। लोगों को तेजी से बांट रही इस दुनिया में शायद सिनेमा ही एक ऐसा माध्यम है, जो हम सबको जोड़ता है।

इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन में शुक्रवार के वक्ता : इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन में शुक्रवार के दिन जो विशिष्ट वक्‍ता होंगे, वे इस प्रकार हैं- शिक्षाविद्‍ डॉ. रामचरण, अपोलो हॉस्पिटल्स की एमडी डॉ. प्रीथा रेड्‍डी, इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन के कंसल्टेंट रक्षित टंडन और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अता हसनैन। दोपहर तीन बजे से आध्यात्मिक संत स्वामी अवधेशानंद का व्याख्यान होगा। व्याख्यान सभी के लिए खुला रहेगा। (वेबदुनिया/भाषा)

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