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आर्थिक निराशा का दौर चिंताजनक-एसबीआई

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मुंबई , बुधवार, 12 जून 2013 (20:23 IST)
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मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आर्थिक वातावरण में लगातार निराशा के मौजूदा दौर को चिंताजनक करार दिया है और कहा है कि अब निराशा छांटने के लिए ठोस कदम उठाने का समय है

बुधवार को जारी अप्रैल माह के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों से यह सुस्ती साफ नजर आती है। एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा कि अब समय आ गया है कि नीति-निर्माता जागें और सुधारात्मक कदम उठाएं।

देश के सबसे बड़े बैंक के मुखिया का मानना है कि औद्योगिक क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। चौधरी ने कहा कि दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं विनिर्माण क्षेत्र की अपनी ताकत के बूते आगे बढ़ी हैं।

चौधरी ने कहा, आर्थिक सुस्ती का दौर चिंताजनक है। औद्योगिक क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अप्रैल माह में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2 प्रतिशत रह गई है। हालांकि एसबीआई प्रमुख ने सकल घरेलू उत्पाद की 5 प्रतिशत की वृद्धि दर पर संतोष जताया।

अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन के कमजोर आंकड़ों के बारे में पूछे गए सवाल पर चौधरी ने कहा कि यह गंभीर चिंता की बात है। नीति-निर्माताओं और इस क्षेत्र के अन्य लोगों को इस पर ध्यान देना होगा। पिछले एक साल से औद्योगिक उत्पादन का आंकड़ा कम है। अब समय आ गया है कि इस पर ध्यान दिया जाए।

इस तरह की खबरों की वृद्धि के मोर्चे पर हरी कोपलें निकल रही हैं और क्या आईआईपी के आंकड़ों से यह धारणा गलत साबित नहीं होती, चौधरी ने कहा कि ताजा आंकड़ों के बाद हमें वास्तविक स्थिति समझने की जरूरत है। सिर्फ आशावादी विचार से वृद्धि को फिर रफ्तार नहीं दी जा सकती।

एसबीआई के मुखिया ने कहा, आशावाद हमेशा अच्छा होता है, लेकिन समय-समय पर हमें वास्तविक स्थिति का पता लगाना चाहिए कि क्या यह आशावाद सही है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों के सही होने के बारे में संदेह करने का कोई आधार नहीं है। सांख्यिकी तकनीक में हाल के समय में काफी सुधार हुआ है।

चौधरी ने कहा कि ऊंचे चालू खाते के घाटे में व्यापार घाटे का प्रमुख योगदान है। इसका मतलब है कि वैश्विक बाजार में हमारा निर्यात गैर प्रतिस्पर्धी हो गया है। उन्होंने कहा कि रुपए में हाल में आई गिरावट के बावजूद यह स्थिति बनी है। मई से रुपए में 6 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।

चौधरी ने कहा, मेरा मानना है कि सरकार और रिजर्व बैंक को यह संकेत देना चाहिए कि वे निर्यातकों को समर्थन देने के प्रति गंभीर हैं। एसबीआई प्रमुख ने कहा कि नीति के मोर्चे पर भाषण नहीं पुख्‍ता कदम की जरूरत है, तभी अर्थव्यवस्था उबर पाएगी। (भाषा)

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