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इंदिरा के हस्ताक्षर वाला ‘अति गुप्त’ पत्र लापता!

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010 (23:40 IST)
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के हस्ताक्षरयुक्त आपातकाल संबंधी कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों के लापता होने में अपनी भूमिका से पल्ला झाड़ते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि विपक्ष को इस बारे में आरोप लगाने से पहले यह याद कर लेना चाहिए कि 1975 से 2010 के बीच केंद्र में केवल कांग्रेस की ही सरकार नहीं रही।

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संसद भवन परिसर में कहा कि साल 1975 से 2010 तक देश में अन्य दलों की भी सरकार थी। तो आपातकाल से जुड़े विषयों में विपक्ष की ओर से इस तरह की कोई बात करना गलत है। विपक्षी दलों को इस विषय पर सोचना चाहिए और कोई भी बेतुका और गैर जिम्मेदाराना आरोप लगाने से बचना चाहिए।

हाल ही में राष्ट्रीय अभिलेखागार की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदनकर्ता एमजी देवेश्वर को आपातकाल से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराए गए जिसमें अन्य संबंधित लोगों के हस्ताक्षर वाले कागजात तो हैं, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का हस्ताक्षर वाले दस्तावेज नहीं है।

आपातकाल की घोषणा करने वाला तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर वाला दस्तावेज भी उपलब्ध है, लेकिन उनसे इसकी सिफारिश करने वाले इंदिरा गाँधी के हस्ताक्षर वाले ‘अति गुप्त’ पत्र की मूल प्रति नहीं है।

बताया जाता है कि राष्ट्रपति सचिवालय से इस पत्र को गृह मंत्रालय ने ले लिया था और बाद में उसे संभवत: इंदिरा गाँधी के निजी कागजात में डाल दिया गया, जो उनके परिवार के पास हैं। विपक्षी दलों की ओर से इस मामले को कथित तौर पर सरकार प्रेरित कदम बताया गया है। (भाषा)

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