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इच्छा मृत्यु, सुनवाई में मौजूद रहें डॉक्टर

उच्चतम न्यायालय के निर्देश

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011 (23:03 IST)
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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि इच्छामृत्यु के एक मामले की सुनवाई के दौरान इसकी अनुमति देने के यक्ष प्रश्न का उत्तर देने में उसकी मदद के लिए मुंबई के डॉक्टरों की एक तीन सदस्यीय टीम मौजूद रहे।

उच्चतम न्यायालय ने इच्छामृत्यु के एक ऐसे मामले की सुनवाई के दौरान डॉक्टरों की मौजूदगी के निर्देश दिए जो अरुणा रामचंद्र शानबाग नामक एक बलात्कार पीड़िता से जुड़ा है। शानबाग पिछले 36 सालों से दिमागी तौर पर मृत है।

न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और ज्ञानसुधा मिश्रा की एक पीठ ने जेवी दिवतिया, रूप गुरशानी, निलेश शाह नाम के डॉक्टरों को मौजूद रहने को कहा। डॉक्टरों से सुनवाई की अगली तारीख दो मार्च को अदालत में मौजूद रहने को कहा गया है ताकि उनकी टीम द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को समझने में न्यायालय की मदद की जा सके।

पीठ ने विशेषज्ञ टीम को मौजूद रहने को कहा क्योंकि रिपोर्ट में विशुद्ध तकनीकी शब्दावलियों का इस्तेमाल किया गया है।

न्यायालय ने एक आदेश में कहा कि यह बिलकुल संभव है कि हम उनकी ओर से सौंपी गई रिपोर्ट की बाबत उनसे सवाल करें। हम उनसे इच्छामृत्यु के बारे में उनके विचार भी जान सकते हैं। पीठ ने कहा कि डॉक्टरों की कमेटी की रिपोर्ट के अवलोकन पर हमने गौर किया है कि उसमें काफी तकनीकी शब्दावलियों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे गैर-मेडिकल क्षेत्र के किसी व्यक्ति को उसे समझने में काफी मुश्किल आएगी। इसलिए हम डॉक्टरों से सुनवाई की अगली तारीख तक एक पूरक रिपोर्ट देने का अनुरोध करते हैं जिसमें रिपोर्ट की तकनीकी शब्दावलियों को भी स्पष्ट किया गया हो।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि वह डॉक्टरों की यात्रा, रहने और खाने-पीने का खयाल रखे। न्यायालय ने किंग एडवर्ड मेमोरियल कॉलेज अस्पताल और याचिकाकर्ता लेखिका पिंकी वीरानी को अगली सुनवाई में अपना नजरिया पेश करने की इजाजत दी। बीती 24 जनवरी को पीठ ने अटॉर्नी जनरल से इस विवादित मुद्दे पर उनकी राय माँगी थी क्योंकि इच्छामृत्यु देश में वैध नहीं है। (भाषा)

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