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एक मिसाइल महिला का सपना साकार

अग्नि-3 की सफलता में टैसी का योगदान

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नई दिल्ली (वार्ता) , गुरुवार, 8 मई 2008 (20:51 IST)
भारत की अग्नि-3 मिसाइल जब कल व्हीलर द्वीप से गर्जना करती हुई हिंद महासागर में भूमध्य रेखा के पास 3500 किलोमीटर दूर तय किए गए लक्ष्य को भेद रही थी तो टेस्ट रेंज सेंटर में एक महिला वैज्ञानिक की खुशी का ठिकाना नहीं था।

यह महिला वैज्ञानिक और कोई नहीं बल्कि अग्नि मिसाइल कार्यक्रम की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर टैसी थामस थी जो मिशन निदेशक डॉ. अविनाश चंदर और रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार एम. नटराजन के साथ अग्नि-3 की सफलता के जश्न में सबसे आगे थी।

अंतरिक्ष में कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स की उपलब्धियों के बाद टैसी थामस वह नाम है जो देश के मिसाइल कार्यक्रम में अग्रणी होकर उभर रहा है, लेकिन श्रीमती टैसी थामस प्रचार की आँधी से बहुत दूर रहती हैं। कल भी अचानक उन्हें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के कैमरों ने जश्न में शामिल होते हुए कैद कर लिया।

विशुद्ध रूप से भारतीय परिधान में रहने वाली श्रीमती थामस एक साधारण गृहणी-सी दिखती हैं और उन्हें देख कर कोई कह नहीं सकता कि यह महिला परमाणु हथियार दागने में सक्षम सामरिक मिसाइल की सफलता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

अग्नि-3 मिसाइल की उलटी गिनती गिने जाने से लेकर उसके ऑटोमेटिक फेज में पहुँचने तथा इग्नीशिन ऑन होने से लेकर मिसाइल के वायु मंडल को बेंधने तक टैसी की साँसे थमी हुईं थी। मिशन निदेशक ने जब पहले चरण के डिटैच होने का ऐलान किया तो खुशी से झूमने वालों में टैसी सबसे आगे थी।

अनेक राडारों, टेलीमेट्री स्टेशनों और नौसेना के दो जंगी पोतों से मिसाइल के रास्ते पर निगाह रखी जा रही थी और व्हीलर द्वीप के भूमिगत केंद्र में कंप्यूटर में दो जोड़ी निगाहें टैसी की भी लगी थी।

और जब मिसाइल के सटीक निशाने पर लगने की घोषणा की गई तो उनकी खुशी देखते ही बनती थी। आखिर एक मिसाइल महिला का सपना साकार जो हो गया था।

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