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एनयूएचएम को प्राथमिकता देंगे आजाद

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नई दिल्ली (भाषा) , शुक्रवार, 29 मई 2009 (19:44 IST)
नए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कहा कि उनकी प्राथमिकता राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रमों को सुचारू रूप से लागू करने राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन को कैबिनेट की मंजूरी दिलाने तथा प्रस्तावित छह नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का निर्माण कार्य जल्दी पूरा कराने तथा 13 राज्य चिकित्सा संस्थानों का उन्नयन करने की हैं।

आजाद ने शुक्रवार को यहाँ मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) को अधिक राशि उपलब्ध कराकर इसे और अधिक मजबूत बनाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा ताकि देश में ग्रामीण और दूरदराज के अधिक से अधिक लोगों को भी आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ मिल सकें।

उन्होंने कहा कि साल में दो बार अलग अलग राज्यों के साथ मिलकर वहाँ पर चल रहे एनआरएचएम कार्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी ताकि कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।

आजाद ने कहा कि संप्रग सरकार का एनआरएचएम की तर्ज पर एक राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन शुरू करने का प्रस्ताव है। इसे कैबिनेट से शीघ्र से शीघ्र मंजूरी दिलाने की कोशिश की जाएगी ताकि अधिक से अधिक शहरी गरीबी आबादी को भी आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिल सकें।

उन्होंने कहा कि सरकार का देश में विभिन्न राज्यों में एम्स की तर्ज पर छह नए संस्थान खोलने के काम को दो तीन साल के अंदर पूरा करने का प्रयास किया जाएगा ताकि दिल्ली के एम्स का भार कम किया जा सके। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और प बंगाल में एम्स के स्तर के चल रहे संस्थानों का उन्नयन किया जाएगा। यह कार्य तीन साल के अंदर पूरा कर लिया जाएगा।

आजाद ने कहा कि सरकार इस बात की पूरी कोशिश करेगी के इन बीमारियों के नए टीके भारत में ही बनाए जाएँ ताकि ये आम लोगों को सस्ते और आसानी से मिल सकें। इसके अलावा बच्चों में टीकाकरण कार्यक्रम को और मजबूत बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश में तेजी से बढ़ रहे क्रॉनिक और संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएँगे ताकि अधिक से अधिक आबादी को इन रोगों से बचाया जा सके।

आजाद ने कहा कि इस समय देश में प्रशिक्षित डॉक्टरों विशेषज्ञों नर्सो और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी चल रही है जिससे हमारी चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। सरकार इस समस्या को गंभीरता से लेगी और इस कमी को पूरा करने का हर संभव प्रयास करेंगी तथा चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता हुई तो उस पर भी विचार करेगी।

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