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कंपनियों की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का सुझाव

हमें फॉलो करें कंपनियों की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का सुझाव
नयी दिल्ली (भाषा) , गुरुवार, 2 जुलाई 2009 (12:53 IST)
सुधार की पुरजोर वकालत करते हुए आर्थिक समीक्षा में सरकार से सभी गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कम से कम 10 फीसद हिस्सेदारी बेचने का सुझाव दिया गया है।

संसद में गुरुवार को पेश आर्थिक समीक्षा में विनिवेश कार्यक्रम को बहाल किए जाने और सालाना कम से कम 25,000 करोड़ जुटाने का सुझाव दिया गया है।

सरकार से लाभ कमाने वाली सभी गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) का कम से कम 10 फीसद हिस्सेदारी बेचे जाने की वकालत करते हुए सर्वे में पूर्व में पहचानी गई लाभ कमाने वाली गैर-नवरत्न कंपनियों के 5 से 10 फीसद हिस्सेदारी बेचे जाने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है।

घाटे वाली पीएसयू के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की जिन कंपनियों को पटरी पर नहीं लाया जा सकता, उन सभी की नीलामी करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने चार जून को संसद के संयुक्त सत्र में कहा था कि हमारे सभी नागरिकों को सार्वजनिक क्षेत्र में हिस्सेदारी रखने का अधिकार है जबकि सरकार उनमें बहुलांश हिस्सेदारी और नियंत्रण रखे।

वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी लोकसभा में छह जुलाई को पेश होने वाले बजट में विनिवेश के बारे में रोड मैप का खुलासा कर सकते हैं।

कोयला क्षेत्र, बिजली क्षेत्र के विकास में बड़ी बाधा: कोयला क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश का समर्थन करते हुए बजट पूर्व आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बिजली क्षेत्र के विकास के रास्ते में राष्ट्रीयकृत कोयला क्षेत्र सबसे बड़ी बाधा है।

वर्ष 2008-09 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जब तक कोयला क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र का एकाधिकार रहता है यह बिजली क्षेत्र के विकास के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है।

समीक्षा में कहा गया है कि बेहतर ढंग से विनियमित और प्रतिस्पर्धी कोयला क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश से कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी।

पिछले वित्तवर्ष (2008-09) में कोयला और गैस की कमी के कारण बिजली उत्पादन की वृद्धि दर धीमी रही तथा उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी लक्ष्य के अनुसार नहीं हो पाया।

समीक्षा में कहा गया है कि अन्य चीजों के साथ ईंधन की कमी के कारण पीएलएफ (प्लांट लोड फैक्टर) या कोयला आधारित तापीय संयंत्रों की दक्षता में कमी दर्ज की गई है।

बिजली क्षेत्र देश के कुल कोयला उत्पादन का 74 फीसद उपभोग करते हैं। कोयला आधारित तापीय संयंत्र का कुल 1,48,382 मेगावाट बिजली उत्पादन में 66 फीसद का योगदान है।

निर्यात पर भारी वैश्विक मंदी: बाह्य कारोबार के मोर्चे पर धुंधली तस्वीर पेश करते हुए आर्थिक समीक्षा में आज आगाह किया गया कि वैश्विक आर्थिक गिरावट का असर 2009-10 में भारत के निर्यात वृद्धि पर पड़ सकता है। सरकार को निर्यातकों की मदद की सलाह दी गई है।

संसद में पेश बजट पूर्व आर्थिक समीक्षा में विशेषकर अमेरिका तथा यूरोपीय संघ में आर्थिक गिरावट के भारत के निर्यात पर असर का जिक्र किया गया है।

इसमें कहा गया है कि प्रमुख कारोबारी सहयोगियों से आयात माँग में कमी का असर भारत के उत्पादों और सेवाओं के निर्यात पर पड़ सकता है।

भारत के निर्यात की वृद्धि दर 2008-09 की पहली छमाही में 30 प्रतिशत से अधिक रही लेकिन अक्टूबर में यह नकारात्मक हो गई। निर्यात लगातार आठ माह घटा और मई में इसमें 29.2 प्रतिशत की गिरावट आई।

गत वित्तवर्ष में निर्यात 3.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि के साथ 168.7 अरब डॉलर हो गया था। समीक्षा में कहा गया है कि कारोबारी क्षेत्र में जान फूँकने के लिए अल्पकालिक राहत तथा प्रोत्साहन पैकेजों के साथ-साथ कुछ बुनियादी नीतिगत बदलावों की जरूरत है।

इन कदमों में निर्यात एवं उद्योग जगत को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सीमा एवं उत्पाद शुल्क में कटौती जारी रखना और निर्यात संवर्धन की मौजूदा योजनाओं को चुस्त-दुरुस्त बनाना शामिल है।

इसमें कहा गया है कि अनावश्यक सीमा शुल्क छूटों को समाप्त कर दिया जाना चाहिए तथा कर ढाँचे को युक्तिसंगत बनाना होगा।

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