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कर्नाटक में चर्च हमलावरों पर गुंडा एक्ट

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बेंगलुरु/नई दिल्ली (भाषा) , सोमवार, 22 सितम्बर 2008 (20:38 IST)
कर्नाटक में चर्चा पर नए हमलों के मद्देनजर स्थिति का जायजा लेने मंगलवार को यहाँ केंद्रीय दल के आने के बीच राज्य की भाजपा सरकार ने आज को दोषियों के खिलाफ कठोर गुंडा अधिनियम लगाने का फैसला किया।

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सम्मेलन में हमलों के षड्यंत्रकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए बताया कि राज्य मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक में यह फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि करीब बीस गिरजाघरों और प्रार्थनाघरों पर हमलों के बाद सप्ताह भर की अशांति के उपरांत पूजा स्थलों पर हमलों में शामिल लोगों पर गुंडा अधिनियम के तहत कार्रवाई का फैसला किया गया है।

उन्होंने विपक्षी दलों पर अपनी सरकार को गिराने का प्रयास करने का आरोप भी लगाया। इस बीच कर्नाटक में चर्चों पर नए हमलों को देखते हुए केन्द्र का उच्च स्तरीय दल स्थिति का जायजा लेने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली से रवाना होगा।

केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने आज विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) एमएल कुमावत को कर्नाटक के हालात का जायजा लेने और स्थिति से निपटने के लिए उठाए जा रहे सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए मंगलवार को बेंगलुरु जाने को कहा है।

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने नई दिल्ली में बताया कि कुमावत के नेतृत्व में कनार्टक जा रहे इस उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल में संयुक्त सचिव (मानव संसाधन) एके यादव भी शामिल होंगे। यह दल कर्नाटक के मुख्य सचिव और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वहाँ के हालात पर चर्चा करेगा।

गृह मंत्रालय का यह दल मेंगलूर भी जाएगा, जहाँ कई चर्चों पर हमले किए गए हैं। ये दल वहाँ के जिला अधिकारियों से चर्चा करेगा। कर्नाटक में चर्चों पर नए हमलों की घटनाओं में मंगलवार को बेंगलुरु और कोडागु जिलों में ऐसी वारदात हुई हैं।

ईसाइयों और उनके पूजा स्थलों पर पिछले कुछ दिनों से हो रहे हमलों के संबंध में केन्द्र कर्नाटक को पहले ही नोटिस जारी कर चुका है। गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकार को जारी दो परामर्शों में स्थिति को नियंत्रित करने के प्रभावी कदम उठाने को कहा गया है। केन्द्र का मानना है कि वहाँ के हालात संविधान और कानून व्यवस्था का उल्लंघन किए जाने के समान हैं।

येदियुरप्पा ने हमलों के मद्देनजर चेतावनी परामर्श जारी करने को लेकर केंद्र पर निशाना साधा और भाजपा शासित राज्यों के प्रति पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया।

उन्होंने सवाल किया कि इस तरह का परामर्श दिल्ली में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद दिल्ली की कांग्रेस सरकार को क्यों नहीं भेजा गया और कर्नाटक में तत्कालीन एसएम कृष्णा सरकार के साथ उस समय ऐसा क्यों नहीं किया गया, जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उसके पास पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि वह जंगल तस्कर वीरप्पन को पकड़ने में नाकाम रही है।

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