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कांग्रेस का सिरदर्द बनी मंत्रियों की तकरार

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नई दिल्ली, विनोद अग्निहोत्री , शनिवार, 8 अगस्त 2009 (10:26 IST)
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह अपने मंत्रियों की बढ़ती तकरार से परेशान हैं। जिन कुछ मंत्रियों के विभाग बदल गए हैं, उनके बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। ताजा मामला दो कैबिनेट मंत्रियों के बीच का है। हाल ही में दोनों के बीच टेलीफोन पर अच्छी- खासी झड़प होने की चर्चा कांग्रेसी गलियारों में चटखारे लेकर कही सुनी जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक जबसे सरकार बनी है और मंत्रियों के विभागों का बँटवारा हुआ है, पिछली सरकार के एक हाई प्रोफाइल वरिष्ठ मंत्री को इस बात की टीस है कि उनका विभाग उन्हें दिया गया है, जो पिछली सरकार में राज्यमंत्री थे। इस हाई प्रोफाइल मंत्री का दावा है कि उन्होंने अपने विभाग को राष्ट्रीय महत्व से अंतरराष्ट्रीय महत्व का बना दिया था, जबकि उनके उत्तराधिकारी राजनीति में भी उनसे कनिष्ठ हैं।

मुख्यमंत्री रहे एक कैबिनेट मंत्री अपने विभाग को लेकर खुश नहीं हैं और वे इसके लिए अपने एक अन्य सहयोगी मंत्री को जिम्मेदार मानते हैं। इसलिए वे कैबिनेट बैठक में भी अपने विभाग की कमी की चर्चा होने पर सहयोगी मंत्री से जुड़े विभाग को जिम्मेदार ठहराते हैं।
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हाल ही में इस मंत्री के पुराने विभाग में हुए एक सौदे में घोटाले का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने संसद में सरकार की जमकर घेराबंदी की। इस कथित घोटाले का पर्दाफाश एक अँगरेजी पत्रिका ने किया। सूत्रों के मुताबिक इससे इस कैबिनेट मंत्री को और ठेस पहुँची और उन्होंने इसका पता लगाया कि पत्रिका को यह खबर लीक किसने की।

इस मंत्री के करीबी सूत्रों ने इसके पीछे उनके पुराने विभाग के मौजूदा मंत्री का हाथ बताया। इसके बाद इस तेज-तर्रार मंत्री का पारा चढ़ गया। बताया जाता है कि उन्होंने फौरन पुराने विभाग वाले मंत्री को फोन लगाकर संजय गाँधी के जमाने की युवक कांग्रेस के अंदाज में जब बात शुरू की तो दूसरे मंत्री ने उनसे सलीके से बात करने को कहा, लेकिन आहत मंत्री नहीं माने और दोनों के बीच खासी तू-तू मैं-मैं हुई। बात सिर्फ इन दोनों मंत्रियों की ही नहीं है।

कुछ अन्य मंत्रियों के बीच आपसी अनबन की खबरें कांग्रेसी गलियारों में कही-सुनी जा रही हैं। एक राज्य के मुख्यमंत्री रहे एक कैबिनेट मंत्री अपने विभाग को लेकर खुश नहीं हैं और वे इसके लिए अपने एक अन्य सहयोगी मंत्री को जिम्मेदार मानते हैं। इसलिए वे कैबिनेट बैठक में भी अपने विभाग की कमी की चर्चा होने पर अपने सहयोगी मंत्री से जुड़े विभाग को जिम्मेदार ठहराते हैं।

दोनों मंत्री ताकतवर : कांग्रेस नेतृत्व के दरबार में ये दोनों मंत्री खासे ताकतवर रहे हैं। एक ही राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री रहे दो कैबिनेट मंत्री राज्य की राजनीति में एक दूसरे के धुर विरोधी हैं। उनकी यह सियासी दुश्मनी केंद्र में भी जारी है।

पिछले दिनों इनमें से एक मंत्री अपने विभाग से जुड़े सवालों का जवाब देने में इस कदर लड़खड़ाए कि सरकार की खासी किरकिरी हुई। विपक्ष ने उन्हें दूसरा शिवराज पाटिल तक कहा। इस मंत्री को यह उपाधि उनके ही राज्य के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मंत्री ने मीडिया में अपने मित्रों को दी और वहाँ से यह बात विपक्ष तक पहुँची। (नईदुनिया)

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