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कारसेवा और दर्शन की इजाजत थी-गुप्ता

हमें फॉलो करें कारसेवा और दर्शन की इजाजत थी-गुप्ता
रायबरेली , गुरुवार, 29 अप्रैल 2010 (18:34 IST)
विवादित ढाँचे को क्षतिग्रस्त किए जाने की आशंकाओं के बावजूद छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों को कारसेवा और श्रद्धालुओं को राम जन्म भूमि मंदिर में दर्शन की अनुमति प्राप्त थी।

यह जानकारी गुरुवार को यहाँ फैजाबाद की तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक अंजू गुप्ता ने रायबरेली की विशेष अदालत में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के सवालों के जवाब में दी। बाबरी विध्वंस के दिन अंजू भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की सुरक्षा और एस्कार्ट डयूटी में तैनात थीं।

अंजू ने 26 मार्च को मामले में सीबीआई के नौंवे गवाह के रूप में अपने बयान दर्ज कराए थे। उनके बयान पर जिरह के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता हरिदत्त शर्मा ने गुप्ता से पूछा था कि पाँच दिसंबर 1992 को फैजाबाद के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक एके सरन की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में क्या यह निर्देश दिए गए थे कि छह दिसंबर को कारसेवकों को कारसेवा और श्रद्धालुओं को रोज की तरह राम मंदिर में दर्शन की अनुमति रहेगी।

इसके जवाब में अंजू ने अदालत को बताया कि हमें यह पहले से मालूम था कि छह दिसंबर को कारसेवकों को कारसेवा करने और श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति रहेगी और सुरक्षा बलों को सतर्कता बरतते रहना है।

बाबरी विध्वंस मामले में अहम गवाह मानी जा रही अंजू आज इस सिलसिले में तीसरी बार अदालत में पेश हुईं। लगभग तीन घंटे तक चली जिरह में शर्मा ने अंजू से अदालत में दिए गए उनके बयान में बताई गई बहुत सी बातों में से कई का पूर्व में इसी संबंध में सीबीसीआईडी को दिए बयान में उल्लेख न होने और पाँच दिसंबर 92 को पुलिस महानिरीक्षक सरन की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में सवाल-जवाब किए।

इसके बाद मुख्य दंडाधिकारी गुलाब सिंह ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख लगा दी।

शर्मा ने अंजू से आज फिर यह जानना चाहा कि क्या पुलिस महानिरीक्षक सरन की समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई थी कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट अयोध्या पहुँच कर जनसमूह में मिल गए है और उनकी योजना विस्फोट आदि करके विवादित ढाँचे को नुकसान पहुँचाने की है, ताकि देश में अशांति और कानून व्यवस्था का खतरा पैदा हो।

इसके जवाब में अंजू ने कहा कि मै बता चुकी हूँ कि पुलिस महानिरीक्षक सरन ने खुफिया एजेसियों से विवादित ढाँचे को नुकसान पहुँचाने संबंधी खतरों की जानकारियाँ मिलने का जिक्र किया था। इसमे आईएसआई एजेंटों और कारसेवकों से होने वाले खतरे का भी उल्लेख था।

जनसमूह में और कारसेवको में कश्मीरी आतंकवादियों अथवा आईएसआई के लोगों के शामिल होने के बारे में गुप्ता ने किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया।

गुप्ता ने मामले में पहली बार 26 मार्च को गवाही दी थी और इससे पहले 23 अप्रैल को बचाव पक्ष ने उनसे जिरह की थी। जिरह आज भी अधूरी रही और अदालत ने अगली जिरह के लिए 15 मई की तारीख लगा दी है। इस मामले में आडवाणी के अलावा मुरली मनोहर जोशी उमा भारती तथा संघ परिवार के अन्य नेता आरोपी हैं। (भाषा)

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