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कॉमरेड सुरजीत को आखिरी सलाम

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नई दिल्ली (भाषा) , सोमवार, 4 अगस्त 2008 (10:46 IST)
वरिष्ठ माकपा नेता हरकिशनसिंह सुरजीत का पार्थिव शरीर रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। देश-विदेश के अनेक गणमान्य व्यक्तियों, उनके समर्थकों और शुभचिंतकों ने पूरे सम्मान के साथ राजधानी दिल्ली के निगम बोध घाट पर उन्हें अंतिम विदाई दी।

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औपनिवेशिक दासता से मुक्ति के संघर्ष के दौर में 'लंदन तोड़ सिंह' के नाम से विख्यात तथा गठबंधन की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले सुरजीत का 92 वर्ष की उम्र में गत एक अगस्त को राजधानी से लगे नोएडा के मेट्रो अस्पताल में निधन हो गया था।

सुरजीत के पुत्रों गुरचेतनसिंह और परमजीतसिंह ने शाम करीब सवा पाँच बजे लाल झंडे में लिपटे अपने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। उनका का अंतिम संस्कार पुलिस सम्मान के साथ किया गया।

इस अवसर पर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, सपा नेता मुलायमसिंह यादव, माकपा महासचिव प्रकाश करात, भाकपा नेता डी. राजा, उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और कई केंद्रीय मंत्रियों सहित देश-विदेश से आए अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

इस सम्मानित वाम नेता के सम्मान में दिल्ली पुलिस के जवानों ने तीन बार हवा में गोलियाँ चलाईं और पुलिस बैंड ने मातमी धुन बजाई। इस बीच देश के कोने-कोने से आए उनके हजारों समर्थक मानसून की बौछारों के बीच लगातार 'कॉमरेड लाल सलाम, सुरजीत अमर रहें' के नारे लगाते रहे।

इससे पहले आज सुबह सुरजीत का पार्थिव शरीर यहाँ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से उनके निवास आठ तीन मूर्ति लेन लाया गया। उसके बाद उसे भाई वीरसिंह मार्ग स्थित माकपा मुख्यालय एके गोपालन भवन पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यहाँ पहुँचकर वयोवृद्ध माकपा नेता को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

अपराह्न करीब तीन बजे सुरजीत की अंतिम यात्रा एके गोपालन भवन से शुरू हुई। इसमें माकपा के 92 कार्यकर्ता आगे-आगे पार्टी का झंडा लेकर चल रहे थे। उनके पीछे माकपा के झंडे में लिपटे सुरजीत के शव को लेकर विशेष वाहन चल रहा था। इसके पीछे माकपा महासचिव प्रकाश करात, वृंदा करात, सीताराम येचुरी और अन्य नेता चल रहे थे।

राजधानी में कड़ी धूप और उमस के मौसम के बावजूद हजारों की संख्या में सुरजीत के समर्थक अपने नेता के अंतिम दर्शन के लिए भाई वीरसिंह मार्ग पर घंटों खड़े रहे।

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