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खतरों के खिलाफ सैनिक तैयारी जरूरी-मनमोहन

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एजिमाला (भाषा) , शुक्रवार, 9 जनवरी 2009 (09:51 IST)
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने समुद्र के रास्ते आतंकवादियों के हमलों के नए खतरों से आगाह करते हुए गुरुवार को कहा कि देश को इसके अनुरूप अपनी तैयारी करना चाहिए।

मनमोहन ने इसके साथ ही कहा कि देश आतंकवादियों को कोई सुरक्षित पनाहगाह और लांचिंग पैड्स से वंचित करने के लिए विश्व समुदाय के साथ मिलकर काम करना चाहता है।

हाल ही में समुद्र मार्ग का उपयोग कर मुंबई पर पाकिस्तान आधारित आतंकवादियों के हमले के आलोक में मनमोहन ने कहा कि न सिर्फ हिंद महासागर, बल्कि अरब सागर से होकर होने वाले आतंकवादी हमलों से निबटने के लिए पुख्ता रणनीति बनाने की जरूरत है।

मनमोहन ने कहा कि मुम्बई हमलों ने समुद्र के रास्ते देश में प्रवेश के रास्तों पर निगरानी और चौकसी बढ़ाने की जरूरत को उजागर कर दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों तथा अन्य आतंकवादी संगठनों की ओर से अपने इरादों को पूरा करने के लिए समुद्र का रास्ता अपनाने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। यह चिंता का विषय है।

कन्नूर से 40 किलोमीटर दूर स्थित भारतीय नौसेना अकादमी के उद्‍घाटन के अवसर पर मनमोहन ने कहा कि भारत के सुरक्षा हितों के संदर्भ में समुद्र अधिकाधिक आवश्यक बनता जा रहा है और हमें अवश्य ही इस बदलते माहौल के अनुरूप अपनी सैन्य तैयारियों में फेरबदल करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नौसेना को त्रिआयामी बल के रूप में उभरने में मदद करने के लिए उसकी आधुनिकीकरण की एक महत्वाकांक्षी योजना है। देश के सुरक्षा हितों की रक्षा में भारतीय नौसेना को अहभूमिका निभाना होगी। मौजूदा हालात में नौसना की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अपनी भूमिका निभाते हुए यह सुनिश्चित करेगी कि भारतीय तटरक्षक तथा नौसना समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी साजोसामान से लैस हो।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नौसैनिक क्षमता का अर्थ सिर्फ युद्ध लड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, वाणिज्य, ऊर्जा आपूर्ति तथा समुद्र के संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल से भी इसका सरोकार है।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने हाल के वर्षों में विभिन्न देशों के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास के जरिये काफी अच्छा अनुभव हासिल किया है और सुरक्षा खतरों के खिलाफ उसकी क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई है।

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