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गरीबी की 'परिभाषा' समझाएंगे मोंटेक

हमें फॉलो करें गरीबी की 'परिभाषा' समझाएंगे मोंटेक
नई दिल्ली , शनिवार, 1 अक्टूबर 2011 (23:03 IST)
गरीबी रेखा की परिभाषा को लेकर चौतरफा आलोचना झेल रहे योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया ने शनिवार को कहा कि वे इस मुद्दे पर सोमवार को स्थिति स्पष्ट करेंगे।

अहलूवालिया आज ही दस दिनों के विदेश दौरे से लौटे हैं। वे इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह से भी मुलाकात करेंगे और गरीबी रेखा को लेकर उपजे विवाद पर स्थिति स्पष्ट करेंगे।

योजना आयोग ने उच्चतम न्यायालय में गरीबी की परिभाषा को लेकर एक हलफनामा दिया। इसमें कहा गया है कि शहरों में दैनिक 32 रुपए से अधिक खर्च करने वाला और ग्रामीण क्षेत्र में दैनिक 26 रुपए से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। आयोग की इस परिभाषा को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

अहलूवालिया से जब ये पूछा गया कि आयोग क्या उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे पर नया हलफनामा दाखिल करेगा, जवाब में अहलूवालिया ने बताया कि मैं सोमवार को इस मुद्दे पर वक्तव्य दूंगा। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने भी मामले में हस्तक्षेप किया और समझा जाता है कि आयोग से गरीबी रेखा की परिभाषा के बारे में फिर से विचार करने को कहा है। इस बारे में अहलूवालिया से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं आज ही विदेश से लौटा हूं और मामले को स्पष्ट करने के लिए मीडिया से सोमवार को मिलूंगा।

राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्या अरुणा रॉय के इस संबंध में खुले पत्र का भी संभवत: अहलूवालिया सप्ताहांत जवाब देंगे। अरुणा ने 32 रुपए प्रति व्यक्ति खर्च की गरीबी की परिभाषा को चुनौती दी है।

उधर, आयोग सूत्रों का कहना है कि आयोग इस मामले में उच्चतम न्यायालय में नया हलफनामा सौंप सकता है। इसमें आयोग स्पष्ट कर सकता है कि 32 रुपए की खर्च सीमा को आयोग गरीबों को दिए जाने वाले लाभों के मामले में उपयोग में नहीं लाएगा। अहलूवालिया के इस मुद्दे पर ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से भी सोमवार को मुलाकात करने की उम्मीद है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर कहा था कि योजना आयोग ने हलफनामा दिया है। हमने जब इसके बारे में जानकारी मांगी तो कहा गया कि यह शुरुआती दस्तावेज था अंतिम नहीं।’’ उन्होंने आगे कहा कि ये आंकड़े बदल सकते हैं, कोई नए आंकड़े आ सकते हैं, जो कि योजना आयोग को स्वीकार्य होंगे। लोगों में चिंता है। लोगों में इसको लेकर भ्रम है और कुछ का मानना है कि यह वास्तविकता से हटकर है। (भाषा)

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