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चंद्रयान की तैयारियाँ अंतिम चरण में

मानव अभियान की रिपोर्ट तैयार

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भारत के पहले मानव रहित चंद्र अभियान की तैयारियाँ आखिरी दौर में है और 22 अक्टूबर को यहाँ से यान को रवाना किया जाएगा लेकिन अधिकारियों को देश के पहले मानव सहित अंतरिक्ष अभियान के लिए सरकार से हरी झंडी की प्रतीक्षा है जिसे 2015 में अंजाम दिए जाने की संभावना है।

चंद्रयान प्रथम के प्रक्षेपण से पहले यहाँ भारत के अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र में रोमाँच का माहौल और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा के कई रहस्यों से पर्दा उठाना है।

चेन्नई से करीब सौ किलोमीटर उत्तर भारत के पूर्वी तट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (सहार) में तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं और यदि मौसम अनुकूल रहा तो पृथ्वी की कक्षा से बाहर भारत के पहले अंतरिक्ष अभियान को स्वदेशी पीएसएलवी सी 11 से 22 अक्टूबर को प्रात: 6.20 बजे रवाना कर दिया जाएगा। इस पहले चंद्र अभियान की तैयारियों के बीच अधिकारियों को देश के पहले मानव अंतरिक्ष अभियान को सरकार से हरी झंडी की प्रतीक्षा है।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एमपी धवन ने कहा कि मानव अंतरिक्ष उड़ान के बारे में परियोजना रिपोर्ट तैयार है और सरकार से अंतिम मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। धवन ने कहा कि इस अभियान के लिए स्वदेश निर्मित भूस्थैतिक प्रक्षेपण वाहन को समुन्नत किया जाएगा। इसरो के अधिकारियों के अनुसार यह मानव अंतरिक्ष उड़ान 2015 में होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि श्रीहरिकोटा में तीसरा लांच पैड तैयार किया जाएगा।

कई देशों द्वारा पूर्व में चंद्र अभियान पूरा किए जाने के बाद भारत के ऐसा करने को लेकर आलोचनाओं के बारे में इसरो के अधिकारियों ने कहा कि दर्जनों मानव सहित और मानव रहित अंतरिक्ष यानों ने चंद्रमा की पड़ताल की है लेकिन इसका कतई यह आशय नहीं है कि मनुष्य को चाँद के हर महत्वपूर्ण पहलू की जानकारी हो गई है या उन्होंने इसे पूरी तरह समझ लिया है।

उन्होंने कहा कि इसके उलट चंद्रमा के कई ऐसे रहस्य हैं जिनका रहस्योद्घाटन होना है। इनमें चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास इसके खनिजों की विस्तृत समझ और हीलियम-3 की प्रचुरता शामिल है। हीलियम-3 को भविष्य के परमाणु संलयन (फ्यूजन) रिएक्टरों का तुलनात्मक रूप से स्वच्छ ईंधन बताया जाता है।

चंद्रयान अंतरिक्ष यान का वजन 1380 किलोग्राम है और इसमें 11 भार (वैज्ञानिक उपकरण) है। सहार के उप-निदेशक के सुभाष ने कहा कि लोग देश के प्रतिष्ठित अभियान को लेकर उत्साहित हैं। सहार के निदेशक ने कहा कि दल (चंद्रयान की टीम) बहुत रोमांच के मूड में है।

चंद्रयान अभियान का खर्च 386 करोड़ रुपए का है जिसमें भारतीय सुदूर अंतरिक्ष नेटवर्क की स्थापना के सौ करोड़ रुपए में शामिल हैं जो अंतरिक्ष यान से प्रसारित रेडियो संकेतों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह रेडियो संदेश धरती पर पहुँचने के वक्त तक बहुत कमजोर हो चुका होता है।

चंद्रयान के 11 भारों में एक मून इंपैक्ट प्रोब (एमआईपी) का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा पर वांछित जगह प्रोब के उतरने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना है। एमआईपी को चंद्रयान अंतरिक्ष यान से किसी चुनिंदा क्षेत्र में उतरने के लिए बाहर किया जाएगा।

अधिकारियों के अनुसार इसके बाद कैमरा और अन्य वैज्ञानिक उपकरण चालू होंगे और उनका समुचित परीक्षण किया जाएगा। यह अभियान के कार्यकारी चरण की शुरुआत होगी जो करीब दो साल तक चलेगा।

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