नई दिल्ली (भाषा) , शनिवार, 31 जनवरी 2009 (23:12 IST)
लोकसभा चुनाव से पूर्व चुनाव आयोग में मचे महाभारत ने एक नई शक्ल अख्तियार कर ली है। मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी ने चुनाव आयुक्त नवीन चावला को हटाने की अनुशंसा की है। इस फैसले से विवाद पैदा हो गया है और संवैधानिक विशेषज्ञों ने इसकी कड़ी आलोचना की है।
उधर संघर्ष की मुद्रा अख्तियार करते हुए चावला ने अपने पद से इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है किया और कहा कि वह आगामी आम चुनाव कराने की तैयारी कर रहे हैं।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब गोपालस्वामी 20 अपैल को पदमुक्त होने जा रहे हैं। यह अनुशंसा भाजपा की उस याचिका के आधार पर की गई है, जिसमें चावला पर भेदभाव का आरोप लगाया गया था। भाजपा का आरोप है कि चावला कांग्रेस पार्टी के करीब हैं।
गोपालस्वामी ने कहा कि मैंने अपना काम कर दिया है। रिपोर्ट दे दी गई है, लेकिन उन्होंने इस बारे में आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
चुनाव आयोग के छह दशक के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपने ही सहयोगी को पद से हटाने की सिफारिश की है।
इस घटनाक्रम पर राजनीतिक दलों ने भी त्वरित त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा ने जहाँ चावला को तत्काल पद से हटाने की माँग की है, वहीं कांग्रेस ने उसकी माँग को खारिज कर दिया है।
गोपालस्वामी की सेवानिवृत्ति के बाद एसवाई कुरैशी से वरिष्ठ होने के नाते चावला के ही अगला मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की संभावना है। गोपालस्वामी की इस अनुशंसा से तीन सदस्यीय आयोग में मतभेद सामने आ गए हैं। पिछले साल ही चावला ने मई में कनार्टक विधानसभा चुनाव कराने पर गंभीर आपत्ति उठाई थी।
यह दूसरा मौका है, जब चुनाव आयुक्तों को हटाने का मामला उठा है। इससे पहले वर्ष 1990 में तत्कालीन राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने दो चुनाव आयुक्तों एसएस धनोआ और केएस सहगल को हटा दिया था। इन दोनों चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राजीव गाँधी सरकार ने 1989 में हुए आम चुनाव के पहले की थी। इससे आयोग में एक ही चुनाव आयुक्त रह गया था।
सरकार के पास दूसरा विकल्प नहीं : भाजपा ने कहा कि चुनाव आयुक्त नवीन चावला को बर्खास्त करने की मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी की सिफारिश स्वीकार करना सरकार के लिए बाध्यकारी है, जिसे उसे तुरंत लागू करना चाहिए। ऐसा होने तक चावला को लोकसभा चुनावों की सभी तैयारियों से अलग रखा जाए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि गोपालस्वामी की इस सिफारिश को लागू करने में सरकार ने अगर आनाकानी की तो उसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुँचाने के लिए भाजपा न्यायपालिका जाने सहित सभी विकल्प खुले रखेगी।
सिफारिश में कानूनी पेचीदगियाँ : कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयुक्त नवीन चावला को हटाने की मुख्य चुनाव आयुक्त गोपालस्वामी की सिफारिश में कई कानूनी पेचीदगियाँ हैं, जिसमें किसी सहयोगी के खिलाफ सीईसी द्वारा ऐसा कदम उठाने के अधिकार का मुद्दा शामिल है।