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जलवायु परिवर्तन से देश की सुरक्षा को खतरा

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नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 30 अगस्त 2009 (10:21 IST)
जलवायु के बदलते मिजाज पर एक अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है क्योंकि समुद्र तल में लगातार वृद्धि और ग्लेशियर के पिघलने से विश्व के मानचित्र में परिवर्तन का भय उत्पन्न हो गया है।

इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के कार्यकारी समूह के अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा बलों की रणनीति और युक्ति दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव की संभावना है।

अध्ययन के अनुसार ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिसके अपने सैन्य प्रभाव हैं। आईडीएसए के कार्यकारी समूह के अध्ययन को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने जारी किया।

अध्ययन में कहा गया है कि एक दूसरे से धाराओं के माध्यम से जुड़ी नदियों में बाढ़ आने और वाहक जनित रोग भी अनुप्रवाह और उर्ध्वप्रवाह के बीच संदेह उत्पन्न करते हैं और इसके कारण सैन्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संबंध स्थापित करने का प्रयास करते हुए अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का युद्ध से कोई संबंध नहीं है बल्कि इसका संबंध भौतिक एवं पर्यावरण तंत्र के टूटने के कारण होने वाले दबाव, तनाव और हिंसक झड़पों से है।

अध्ययन के अनुसार समुद्र तल के बढ़ने से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाएँगे और इसके कारण समुद्र, वायु और जमीन पर सैन्य बलों की क्षमता पर प्रभाव पड़ेगा।

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