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जसवंत ने भाजपा के आग्रह को ठुकराया

हमें फॉलो करें जसवंत ने भाजपा के आग्रह को ठुकराया
नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 1 सितम्बर 2009 (23:24 IST)
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के आग्रह के बावजूद पार्टी से निष्कासित नेता जसवंतसिंह ने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से मंगलवार को साफ इनकार कर दिया।

भाजपा ने उनके फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि उन्हें मालूम होना चाहिए कि पार्टी छोड़ने या पार्टी से निकाले जाने वाले को क्या करना होता है।

गुजरात सरकार द्वारा जिन्ना पर लिखी उनकी पुस्तक पर लगाए गए प्रतिबंध के फैसले को चुनौती देने के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय आए सिंह से भाजपा के आग्रह पर पूछे जाने पर उन्होंने दो टूक कहा कि मैं पीएसी से इस्तीफा नहीं दूँगा। यह बात कोई पार्टी तय नहीं कर सकती है और इस बारे में निर्णय लोकसभा अध्यक्ष करेंगी न कि कोई राजनीतिक पार्टी। भाजपा में लौटने की अटकलों पर भी विराम लगाते हुए उन्होंने कहा कि आप लोग इस बारे में चिंता नहीं करें। रास्ते बंद हो चुके हैं।

पीएसी के अध्यक्ष पद से हटने से इश्रकार कर देने पर प्रतिक्रिया करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि पार्टी को छोड़ देने वाले या पार्टी से निकाल दिए जाने वाले को क्या करना होता है, यह जसवंत को मालूम है। भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज और एसएस अहलूवालिया ने सोमवार को सिंह से मुलाकात करके उनसे आग्रह किया था कि पार्टी चाहती है कि वे पीएसी का अध्यक्ष पद छोड़ दें।

पार्टी में रहते सिंह को यशवंत सिन्हा और गोपीनाथ मुंडे के साथ भाजपा ने पीएसी के सदस्य के रूप में नामित किया था। संसदीय परंपरा के अनुसार सिंह के इन तीनों में सबसे वरिष्ठ होने के चलते इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन कुछ ही दिन बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया। संसदीय परंपरा के अनुसार ही पीएसी की अध्यक्षता मुख्य विपक्षी दल को दी जाती है।

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