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जसवंत बने भाजपा के लिए सिरदर्द

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नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 25 अगस्त 2009 (19:51 IST)
भाजपा के निष्कासित नेता जसवंतसिंह संसद की प्रतिष्ठित लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में पार्टी के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं और इस पद पर पार्टी उनसे तभी छुटकारा पा सकेगी, जब वे खुद इस्तीफा दे।

संसद के सूत्रों ने बताया कि जसवंत के पार्टी में रहते उन्हें लोक लेखा समिति का अध्यक्ष बनाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पत्र लिख कर पार्टी ने अपना काम पूरा कर लिया था लेकिन अब वह इस पद से उन्हें हटाने के लिए पत्र नहीं लिख सकती।

सूत्रों ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा इस पद पर नियुक्त किए जाने के बाद मुख्य विपक्षी दल का काम पूरा हो गया। अब लोकसभा अध्यक्ष ही समिति के अध्यक्ष को हटा सकती हैं। वे ऐसा तभी कर सकती हैं जब जसवंत काम करने में समर्थ न हों।

नियुक्ति के बाद अध्यक्ष से पार्टी इस मामले में कुछ करने के लिए नहीं कह सकती। लेकिन समिति के अध्यक्ष को स्वेच्छा से इस्तीफा देने की पूरी आजादी है।

सूत्रों ने याद दिलाया कि जब पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर आचार समिति के अध्यक्ष थे और लंबे समय तक अस्वस्थ थे, तब भी तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें नहीं हटाया था।

जसवंत का मामला भारतीय लोकतंत्र में इस तरह का संभवत: पहला मामला है जब लोक लेखा समिति के अध्यक्ष को पार्टी के सदस्य के रूप में मुख्य विपक्षी दल से निष्कासित किया जा चुका है ।

ऐसा कोई नियम नहीं है कि समिति का अध्यक्ष विपक्ष के सदस्य को बनाया जाए लेकिन यह पद मुख्य विपक्षी दल को देने की परंपरा चली आ रही है। हाल के लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग से निर्वाचित होने से पहले जसवंत राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे।

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