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देश को गुमराह कर रहे हैं प्रधानमंत्री-वामपंथी

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प्रमुख वामपंथी पार्टियों ने प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के इस तर्क को खारिज कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए तथा परमाणु ईंधन आपूर्तिकर्ता देशों के समूह एनएसजी से वार्ताएँ पूरी करने के बाद भी अमेरि‍का के साथ परमाणु करार पर अमल के लिए देश बाध्य नहीं होगा।

माकपा तथा भाकपा के शीर्ष नेताओं ने दोनों अंतरराष्ट्रीय संगठनों से वार्ता पूरी करने के बाद संसद में उसे रखने के डॉ. सिंह के वक्तव्य को पुराना राग बताते हुए पूछा कि संसद के दोनों सदनों में दो बार बहस हो चुकी है और संसद का बहुमत इस करार के खिलाफ अपनी भावना व्यक्त कर चुका है फिर वे करार पर अमल के बारे में संसद की राय का पालन करने की बात कहकर देश को गुमराह क्यों कर रहे हैं।

भाकपा के महासचिव एबी बर्धन तथा राष्ट्रीय सचिव शमीम फैजी ने कहा कि आईएईए से भारत केन्द्रित परमाणु सुरक्षा उपायों के मसौदे को बोर्ड ऑफ गवर्नर की अंतिम मंजूरी के बाद एनएसजी तथा अमेरि‍की कांग्रेस में करार पर अनुमोदन हासिल करने में भारत की कोई भूमिका नहीं बचेगी। इसलिए आईएईए तथा एनएसजी में प्रक्रिया पूरी करने के बाद संसद की राय लेने की बात देश को गुमराह करने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं है।

माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने भी बोर्ड ऑफ गवर्नर में अगले कदम के बाद करार के ऑटो पायलट भारत की भूमिका के बिना लागू होने के भाकपा नेताओं की बात दोहराते हुए कहा कि इसके बाद सरकार के लिए कदम वापस खींचना असंभव होगा।

इसलिए वामपंथी पार्टियाँ आईएईए में सुरक्षा उपायों को अंतिम मंजूरी के लिए नहीं जाने देने के अपने रुख पर कायम हैं। पार्टी महासचिव प्रकाश करात ने भी प्रधानमंत्री के ताजा बयान के बारे में सवाल पर पूछा कि इसमें नया क्या है।

उन्होंने पार्टी पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद जारी वक्तव्य दुहराते हुए कहा कि सरकार ने आईएईए के बोर्ड ऑफ गवर्नर के समक्ष अगला कदम उठाया तो चारों वामपंथी पार्टियाँ उससे समर्थन वापस ले लेंगी। (वार्ता)

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