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धर्मनिरपेक्ष शब्द पर महाभारत न करें

भाजपा की माँग पर बोले संविधानविद्

हमें फॉलो करें धर्मनिरपेक्ष शब्द पर महाभारत न करें
नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 1 जून 2008 (19:48 IST)
धर्मनिरपेक्ष शब्द के संवैधानिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाए जाने की भाजपा की माँग को कुछ संविधान विशेषज्ञों ने जहाँ सही बताया है, वहीं कुछ ने इसे लेकर महाभारत न करने की सलाहै।

जाने-माने संविधानविद् सुभाष कश्यप ने बताया संविधान की प्रस्तावना में 42 वें संशोधन के जरिए जोड़े गए सेकुलर शब्द का आधिकारिक हिन्दी अनुवाद पंथनिरपेक्ष है, इसलिए हिन्दी में धर्मनिरपेक्ष की जगह पंथ निरपेक्ष का प्रयोग उचित है।

उन्होंने कहा जब संविधान का आधिकारिक अनुवाद आ चुका है और उसके अनुसार सेकुलर शब्द का अर्थ पंथनिरपेक्ष है तो इसके लिए धर्मनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल करना उचित नहीं है।

दूसरी ओर दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग फैकल्टी सदस्य एनएनसिंह ने इसे अनावश्यक बहस बताते हुए कहा कि शब्दों को लेकर महाभारत करने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा संविधान में धर्म के संदर्भ में बात कही गई है न कि पंथ के संदर्भ में। संविधान के अनुसार हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने और राज्य द्वारा सभी धर्मों से समान दूरी रखने की बात कही गई है।

जहाँ तक पंथ का सवाल है एक ही धर्म में कई पंथ होते हैं, इसलिए पंथनिरपेक्ष की बजाए धर्मनिरपेक्ष का इस्तेमाल बेहतर है। गौरतलब है भाजपा अध्यक्ष राजनाथसिंह ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में माँग की कि एक राजाज्ञा के जरिए धर्मनिरपेक्ष शब्द के संवैधानिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जाए।

उनका कहना है कि भारत न कभी धर्मनिरपेक्ष था, न धर्मनिरपेक्ष है और न कभी धर्मनिरपेक्ष हो सकता है।

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