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धर्मांतरित दलितों ने माँगा आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर केन्द्र से जवाब माँगा

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नई दिल्ली , बुधवार, 6 जनवरी 2010 (22:56 IST)
नई दिल्लीधर्मांतरण करके ईसाई, इस्लाम, पारसी और जैन धर्म स्वीकार कर लेने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ देने का मुद्दा बुधवार को उच्चतम न्यायालय में पहुँच गया। न्यायालय ने इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब माँगा। याचिका में इस संबंध में रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों को खारिज करने का आरोप लगाया गया है।

आल इंडिया क्रिश्चियन फेडरेशन द्वारा दाखिल जनहित याचिका में सभी पंथों के धर्मांतरित दलितों के लिए उसी आधार पर आरक्षण लाभ देने की माँग की गई जैसे हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म को मानने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को हासिल है।

प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने सामाजिक न्याय मामलों के मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग की अनुशंसाओं को लागू करने के लिए उससे जवाब माँगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल और डी. विद्यानंदम ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री द्वारा दिए गए हालिया वक्तव्य को सौंपा, जिसमें कहा गया था कि एनसीआरएलएम की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र और आयोग की अनुशंसाओं के बीच अंतर धर्मांतरितों के दावे को खारिज करने का प्रयास है।

वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र ने एनसीआरएलएम की रिपोर्ट को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी भेजा था जिसने उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई 50 फीसदी की सीमा को बिना छेड़छाड़ किए 15 फीसदी (10 फीसदी मुस्लिमों और पाँच फीसदी अन्य को) आरक्षण का समर्थन किया था। (भाषा)

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