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नीरा राडिया के फोन टेपिंग का विवरण तलब

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नई दिल्ली , गुरुवार, 6 सितम्बर 2012 (20:14 IST)
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उच्चतम न्यायालय ने औद्योगिक समूहों के लिए संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया के 5800 टेलीफोन वार्ता का दो महीने के भीतर लिप्यांतर कराने का निर्देश आयकर विभाग को दिया है, क्योंकि इसके कुछ अंश राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा की याचिका पर सुनवाई के दौरान आयकर विभाग को यह निर्देश दिया।

न्यायाधीशों ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि इतने गंभीर मामले में भी आयकर विभाग ने टेप की गई सारी वार्ता का लिप्यांतर नहीं कराया है। न्यायाधीशों की राय थी कि इसमें से कुछ टेलीफोन कॉल तो संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से जुड़ी हैं, जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा से सरोकार है।

न्यायाधीशों ने आयकर विभाग द्वारा केन्द्रीय जांच ब्यूरो को उपलब्ध कराई गई प्रतिलिपि के विश्लेषण के आधार पर इस घटना की जांच करने पर भी आश्चर्य व्यक्त किया।

अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल हरेन रावल ने जब यह कहा कि नीरा राडिया की टेप की गई, सभी 5800 टेलीफोन वार्ता का लिप्यांतर नहीं किया गया तो न्यायाधीशों ने कहा कि बेहतर होगा कि सारी वार्ता का लिप्यांतर किया जाए अन्यथा अनुमान और अटकलों के आधार पर ही सारी कार्यवाही होती रहेगी।

न्यायाधीशों ने अपने आदेश में कहा, हम आयकर (जांच) महानिदेशक को निर्देश देते हैं, जिन्होंने नीरा राडिया की टेलीफोन वार्ता पर निगाह रखने का आदेश दिया था और नीरा राडिया के टेलीफोन पर की निगरानी में प्रत्यक्ष रूप से शामिल अधिकारियों का दल गठित किया था, कि वह समूची वार्ता की प्रतिलिपि तैयार कराएं और इस वार्ता का सारा विवरण दो महीने के भीतर सीलबंद लिफाफे में पेश करें।

न्यायाधीशों ने इस मामले की जांच के बारे में सरकार द्वारा पेश सारांश और केन्द्रीय जांच ब्यूरो तथा प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश प्रगति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद यह आदेश दिया। (भाषा)

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