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फलक की उम्मीदों ने तोड़ा दम...

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 16 मार्च 2012 (15:55 IST)
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आखिरकार 2 साल की मासूम फलक 58 दिनों तक जिंदगी जंग ‍लड़ते लड़ते हार गई...मासूम फलक ने गुरुवार की रात को दम तोड़ दिया...डॉक्टर तो इस बच्ची को 5-6 दिनों में डिस्चार्ज करने वाले थे लेकिन वह अब इस 'दुनिया से ही डिस्चार्ज' हो गई। एम्स के उस वार्ड में रात में गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है और ‍‍जो डॉक्टर उम्मीद की आस जगाए हुए थे, उनकी आंखें भी नम हैं।

कुछ दिनों पहले ही पहले फलक की स्थिति में काफी सुधार आ गया था। उसके हाथ पैर भी हिलने डुलने लगे तो डॉक्टरों को अपनी आधुनिक चिकित्सा पर गर्व हो रहा था और उन्होंने तय किया था कि ऐसी ही रिकवरी होती रही तो अगले 5-6 दिनों में वह फलक को खुशी-खुशी अस्पताल से विदाई दे देंगे लेकिन गुरुवार को सब कुछ खत्म हो गया... मौफरिश्तदबपांचुपकफलचुराकए...

अस्पताल सूत्रों के अनुसार फलक को गुरुवार की रात 9 बजे दिल का दौरा पड़ा था और 9.40 बजे उसने आखिरी सांस ली। दो बार पहले भी उपचार के दौरान उसे दिल के दो दौरे पड़े जिसे यह नन्हीं-सी जान झेल गई थी। एम्स ट्रॉमा सेंटर में न्यूरोसर्जरी के असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक अग्रवाल खुद भी भौंचक हैं क्योंकि फलक तो दिन भर नर्सों के साथ खेला करती थी। यही कारण था कि उसे आईसीयू से हटा दिया था।

2 साल की मासूम फलक के एम्स तक पहुंचने की कहानी बेहद सनसनीखेज है। 18 जनवरी 2012 को 14 साल की एक लड़की फलक को लेकर एम्स पहुंची थी। तब इस बच्ची के गाल और शरीर पर काटने के निशान थे। यही नहीं, शरीर में कई हिस्सों पर चोट लगने से इंफेक्शन बुरी तरह फैल चुका था।

एम्स के कर्मचारियों को जब 14 साल की लड़की ने फलक को अपनी मां बताया तो उन्हें कुछ शंका हुई और उन्होंने पुलिस को खबर कर दी। उधर एम्स के डॉक्टरों ने फलक को जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा और उपचार शुरु हुआ।

58 दिनों में उसकी 5 मर्तबा सर्जरी भी हुई लेकिन काटने और शारीरिक यातना ने उसे मौत की दहलीज तक पहुंचा दिया था और डॉक्टर उसे जिन्दगी की खुशियां वापस लौटाने की जद्दोजहद में लगे हुए थे।

इसी बीच फलक को एम्स लाने वाली नाबालिग लड़की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने तलब हुई तो उसने एक और सनसनीखेज दास्तां बयां कर डाली। उसने बताया कि मेरी उम्र 14 साल की है। मैं सेक्स रैकेट से निकलकर आई हूं। मेरे हत्यारे पिता ने मुझे अनाथालय पहुंचा दिया था। बाद में मुझे देह व्यापार की मंडी में ढाई लाख में बेच दिया था। न जाने कितने लोगों ने मुझे रौंदा।

मैं सेक्स रैकेट से किसी तरह भागकर निकली। अस्पताल में मैंने झूठ बोला था ‍कि 2 साल की फलक मेरी बेटी है और मैंने इसे काटा और शारीरिक यातनाएं दीं। सच तो यह है कि मुझे राजकुमार नामक एक आदमी ने फलक को सौंपा था। उसकी हालत मुझसे देखी नहीं गई और मैं उसे एम्स में लेकर पहुंच गई।

बहरहाल, पूरी दास्तान में सबसे ज्यादा शारीरिक वेदना तो फलक ने झेली है और यही तकलीफ झेलती हुई वह हमेशा हमेशा के लिए दुनिया से कूच कर गई। जब पहली बार फलक की कहानी और उसकी तस्वीरें मीडिया के सामने आई तो हजारों हाथ दुआ के लिए उठ गए।

दिल्ली ही नहीं पूरे देश की सहानुभूति इस दो साल की बच्ची के साथ थी। इंटरनेट पर खबर के प्रसारण के बाद एक विदेशी दम्पति तो उसे गोद लेने के लिए हाथ बढ़ा चुका था लेकिन जब फलक की मौत की खबर उन तक पहुंचेगी तो उन्हें लगेगा कि उनके हाथ तो पहले भी खाली थे और अब कुदरत ने खाली कर दिए। तय है कि उनकी आंखे भी गीली हुए बगैर नहीं रहेगी...
(वेबदुनिया न्यूज)

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