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बड़े शहर नक्सलियों के निशाने पर!

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नई दिल्ली , रविवार, 4 अप्रैल 2010 (19:40 IST)
पाकिस्तानी आतंकवादियों के तरीकों को अपनाते हुए माओवादियों ने बड़े शहरों में हमलों की साजिश रची है और वे शहरी इलाकों में हमलों के लिहाज से क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी मिली है कि माओवादियों की बड़े तौर पर शहरों में हमलों की योजना है लेकिन छिपने की जगह, हथियार और विस्फोटक लाने-ले जाने के लिए परिवहन की सुविधा आदि बुनियादी सुविधाओं की कमी की वजह से वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल के जंगलों में अभियानों को तेज कर रहे सुरक्षा बलों का ध्यान हटाने के लिए माओवादी शहरों में हमला करना चाहते हैं।

जानकारी के मुताबिक माओवादियों का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में अपने से सहानुभूति रखने वालों से और खासतौर पर छात्रों से नियमित संपर्क में हैं और नक्सली काडरों के लिहाज से जरूरी मदद के लिए उन्हें प्रभावित कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि एक बार वे अपनी क्षमताओं से संतुष्ट हो जाएँ तो शहरों में हमले की कोशिश करेंगे।

सुरक्षा एजेंसियों को विशेष जानकारी मिली है कि बलों के लगातार चल रहे अभियानों के मद्देनजर माओवादी जंगलों में अपने ठिकानों से प्रमुख नेताओं को हटाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें शहरी ठिकानों पर पहुँचाने का प्रयास है, जहाँ वे महफूज रह सकते हैं और विशेष तरह के हमलों के लिए अपने काडरों को निर्देश दे सकते हैं।

अधिकारी ने कहा कि लेकिन माओवादी सुरक्षा के बारे में और अधिक आश्वस्त होना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके नेता भाकपा (माओवादी) पोलित ब्यूरो के सदस्य कोबाड गाँधी की तरह के हालात का सामना नहीं करें।

सरकार ने माओवादियों की रणनीति के जवाब में खुफिया अधिकारियों को निर्देश दिया है कि माओवादी नेताओं की गतिविधि और आपसी संवाद पर नजर रखी जाए और बड़े शहरों के पुलिस बलों को पुख्ता किया जाए।

अधिकारी ने कहा कि हम शहरों में माओवादियों के खतरे को हल्के में नहीं ले सकते। इसलिए हम इस मामले में कार्रवाई कर रहे हैं। (भाषा)

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