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बेतुकी नहीं है मोंटेक की 'गरीबी रेखा'

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नई दिल्ली , बुधवार, 12 अक्टूबर 2011 (08:22 IST)
प्रतिदिन 32 रुपये से अधिक का खर्च करने वाले शहरियों को गरीब न मानने के विवाद के बीच मंगलवार को योजना आयोग ने कहा कि भारतीय परिस्थितियों को देखते हुए यह ‘उतनी बेतुकी’ नहीं है।

अटॉर्नी जनरल जी. वाहनवती को भेजे पत्र में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया ने कहा है कि पांच सदस्यीय परिवार द्वारा मासिक 4824 रुपए के खर्च को गरीब न मानने की परिभाषा संतोषप्रद नहीं है, पर भारतीय परिस्थितियों के मद्देनजर इसे उतना बेतुका नहीं कहा जा सकता।

राइट टू फूड कैम्पेन द्वारा दायर जनहित याचिका पर वाहनवती ने उच्चतम न्यायालय में योजना आयोग की पैरवी करने पर सहमति दी है। योजना आयोग द्वारा शहरों में 32 रुपए प्रति व्यक्ति तथा ग्रामीण इलाकों में 26 रुपए प्रति व्यक्ति के खर्च को गरीबी की रेखा के तहत मानने का जो हलफनामा दिया है, उसे लेकर योजना आयोग की चारों ओर आलोचना हो रही है।

गरीबी रेखा पर आलोचना का जवाब देते हुए अहलूवालिया ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों के लिए 3905 रुपए तथा शहरी इलाकों के लिए 4824 रुपए की खर्च की सीमा को इसे प्रति व्यक्ति प्रतिदिन क्रमश: 26 रुपए और 32 रुपए बताकर इसे एक ‘क्रूर मजाक’ बता रहे हैं।

राज्यों द्वारा योजना आयोग की आलोचना पर अहलूवालिया ने कहा कि तथ्य यह है कि राज्यों द्वारा पात्रता से अधिक गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) कार्ड दिए जा रहे हैं। और भी खराब बात यह है कि कई मामलों में ये कार्ड उन लोगों को नहीं मिल रहे हैं, जो वास्तव में इसके हकदार हैं। (भाषा)

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