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भाजपा ने मंदिर आंदोलन को नुकसान पहुँचाया

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लखनऊ , सोमवार, 30 अगस्त 2010 (23:09 IST)
अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि स्थान के स्वामित्व संबंधी मुकदमे का निर्णय भले ही करीब हो, विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए जाने को जरूरी बताया है और स्वयं को भाजपा से दूर करते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर मंदिर आंदोलन को नुकसान पहुँचाया है, जिसके लिए उसे प्रायश्चित करना चाहिए।

परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने कहा कि राम मंदिर वोट का मुद्दा नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज की आस्था से जुड़ा राष्ट्रीय मुद्दा है। भाजपा ने इसका राजनीतिकरण करके राम मंदिर आंदोलन को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा ने ऐसा न किया होता तो सभी दलों के लोग इससे जुड़ते और कतिपय राजनीतिक दलों को मुस्लिम वोटों के लिए इसके विरोध का मौका नहीं मिलता।

सिंघल ने सवालों के जवाब में कहा कि आडवाणीजी द्वारा निकाली गई रथयात्रा के पक्ष में अटलजी नहीं थे। इस संभावना के मद्देनजर कि अयोध्या में विवादित स्थल के स्वामित्व संबंधी मुकदमे में अदालत का निर्णय इसी महीने आ सकता है, सिंघल से जब यह पूछा गया कि यदि फैसला विपरीत गया तो अगली रणनीति क्या होगी, उन्होंने दो टूक कहा कि फैसला जो भी होगा, मामला उच्चतम न्यायालय में तो जाएगा ही।

हालाँकि उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि उच्चतम न्यायालय मामले को गंभीरता से लेते हुए इसका शीघ्र निदान भी कर देगा। मगर इस विषय में अंतिम निर्णय तो सरकार को ही करना होगा और वह कानून बनाकर ही हो सकता है।

अयोध्या विवाद में अदालत से बाहर आम सहमति से किसी समाधान की कोशिश के बारे में पूछे जाने पर सिंघल ने कहा कि इस तरह के प्रयास पहले भी हो चुके है, मगर कोई परिणाम नहीं निकला। सिंघल ने सवालों के जवाब में दोहराया कि यह विषय किसी पार्टी का नहीं बल्कि सबका है और संत इसे किसी पार्टी का मुद्दा नहीं बनने देंगे। अयोध्या से आज ही लौटे सिंघल ने कहा कि पूरा अयोध्या और संत समाज एक है और चाहता है कि राम मंदिर का निर्माण यथाशीघ्र हो।

सिंघल ने बताया कि हरिद्वार कुंभ में हुए संत महासम्मेलन ने एक प्रस्ताव पारित करके माँग की है कि राम मंदिर निर्माण के सात्विक आंदोलन को वोट का विषय न बनाया जाए और सभी राजनीतिक दल राजनीति से ऊपर उठकर संसद में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि को हिन्दू समाज को सौंप दें।

सिंघल ने वर्ष 1992 में छह दिसंबरम को अयोध्या में विवादित ढाँचे के विध्वंस का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव और प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याणसिंह चाहते तो वे ढाँचे को बचा सकते थे।

सिंघल ने बहरहाल केन्द्र में कांग्रेस ने नेतृत्व में सत्तारूढ़ संप्रग सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि यह सरकार ऐसे लोग चला रहे हैं, जो मानो देश में रहते ही नहीं, वरना यह बयान कैसे आया होता कि राम थे ही नही, रामकथा काल्पनिक है।

उन्होंने कहा कि 'भगवा आतंकवाद’ संबंधी बयान के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि जो भगवा का अर्थ नहीं जानता उसे सरकार में रहने का अधिकार नहीं है। यह बयान देकर चिदंबरम ने सम्पूर्ण हिन्दू और संत समाज का अपमान किया है।

अयोध्या में विवादित भूमि के स्वामित्व संबंधी मुकदमे में इसी महीने संभावित निर्णय के मद्देनजर कानून एवं व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री मायावती की कथित चिंताओं, आशंकाओं और तैयारियों की ओर इशारा करते हुए सिंघल ने कहा कि हिन्दू समाज शांतिपूर्ण और सहिष्णु समाज है। (भाषा)

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