Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भोपाल त्रासदी : भागो, गैस निकल रही है...

गैस त्रासदी के 25 साल:वो अब भी भाग रही है गैस के डर से

हमें फॉलो करें भोपाल त्रासदी : भागो, गैस निकल रही है...
ND
गैस हादसे की उस कातिल रात में अपने ससुर को खो चुकी आलिया बी जन्मजात मानसिक रोगी नहीं। उनकी यह हालत गैस कांड के कारण हुई है। 2-3 दिसम्बर की आधी रात को निकली जानलेवा मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) गैस रिसे 25 साल हो गए, लेकिन भोपाल की आबो-हवा और जिंदगी पर उस काली रात का साया अब तक बरकरार है।

इस रात ने कई हंसती-खेलती जिंदगियों को खत्म कर दिया तो कई लोगों को अपने असर से मरीज बना दिया। शरीर के जख्म शायद लोग भुला भी दें, लेकिन जो घाव दिल और दिमाग पर लगे उनका क्या? ऐसे ही घावों ने एक समझदार महिला को विक्षिप्त-सा बना दिया है। इस बीमारी के चलते आलिया बी के परिजन खासे परेशान हैं। उनकी देखभाल के लिए हर समय परिवार के एक सदस्य को घर में ही मौजूद रहना पड़ता है।

आलिया के पति मोहम्मद हफीज बताते हैं कि गैस कांड का इतना गहरा असर उनकी पत्नी पर हुआ है कि उन्हे दौरे पड़ते हैं। जब कोई शोर उनके कानों में पड़ता है तो दिमाग में उस काली रात गिरते-पड़ते और जान बचाने के लिए भागते लोगों की चीखें कौंधने लगती हैं और वे चिल्लाने लगती हैं। कभी खुद इधर-उधर भागने लगती है और चिल्लाने लगती हैं।

इस तरह के दौरे कभी एक सप्ताह में तो कभी एक-दो महीने के अंतराल पर पड़ते रहते हैं। उनका इलाज हमीदिया अस्पताल सहित विभिन्न निजी डॉक्टरों के पास कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आलिया के मन में गैस कांड की दहशत गहरे पैठ कर गई है।

मिटी नहीं है यादें : मोहम्मद हफीज के मुताबिक जिस रात गैस निकली थी, वह बुधवारा स्थित भोईपुरा में निवास करते थे। जैसे ही पता चला कि गैस निकली है, वे अपने परिवार के सदस्यों के साथ कमला पार्क की ओर भागे। उनकी पत्नी भी साथ थीं। इस दौरान वे गिर पड़े, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई।

इसके बाद वे काम करने में असमर्थ हो गए और उनकी नौकरी छूट गई। इसी रात को हफीज के पिता की मौत हो गई। इन घटनाओं ने आलिया बी के जेहन पर ऐसा असर डाला कि वे हमेशा के लिए मानसिक रोगी हो गईं। शादी बारातों की धूम हो या क्रिकेट खेलते बच्चों का शोर। जैसे ही बाग उमराव दूल्हा निवासी 48 वर्षीय आलिया बी के कानों में कोई शोर पड़ता है, वह भागती हुई चिल्लाती है- ' भागो गैस निकल रही है, बच्चों को बचाओ गैस निकल रही है।'

हफीज एक मार्मिक प्रसंग बताते हैं कि एक दफा आलिया बी नहाने गईं हुईं थी, तभी अचानक किक्रेट खेलने वाले बच्चों का शोर सुनाई दिया। इसे सुनकर वह घबराती हुई निर्वस्त्र ही घर से यह कहती हुई भागी कि गैस निकल रही है। काफी मशक्कत के बाद उन्हें पकड़कर वापस घर लाया गया।

अब तक कम नहीं हुए जख्म : विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैसकांड को हुए 25 बरस हो गए हैं। आधी रात हुए इस हादसे में 15 हजार लोगों की मौत हो गई, जबकि 5 लाख से ज्यादा लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। हालात यह हैं कि अब तक गैस के दुष्प्रभाव का सटीक आकलन तक नहीं किया जा सका है। 20 पीड़ित बस्तियाँ जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं और कई लोग इलाज के लिए भटक रहे हैं। 2 और 3 दिसम्बर 1984 की मध्य रात्रि में यूनियन कार्बाइड के टैंक नंबर 610 में से हुआ गैस का रिसाव आज भी भोपालियों को साल रहा है।

हर जख्म समय के साथ भर जाते है, लेकिन गैसकांड की हर बरसी पर भोपाल के जख्म ताजा हो जाते हैं। हजारों लोगों के लिए इलाज और राहत की उम्मीद एक साल पुरानी हो जाती है। आँकड़ों की मानें तो इस हादसे में कुल 5 लाख 74 हजार लोग घायल हुए। मुआवजे को आधार बनाए तो कुल 15 हजार 274 लोगों की जान गई, जबकि मृतकों का सरकारी आंकडा 3000 से अधिक है।

गैर सरकारी संगठनों के अनुसार गैस ने 30 हजार लोगों की जान ली है। मुआवजे के लिए कुल 10 लाख 29 हजार 515 प्रकरण मिले, जिनमें से 5 लाख 75 हजार लोगों को 1536 करोड़ का मुआवजा दिया गया।

25 साल बाद अब हालात यह हैं कि मामले के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ गैस पीड़ित नित नई बीमारियों के शिकार हो रहे है। गाँधी मेडिकल कॉलेज ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च को एक दर्जन से ज्यादा शोध प्रस्ताव भेजे हैं, लेकिन एक पर भी अनुमति नहीं मिली है।

अब तक तो गैस के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर घातक असर का पूरा आकलन भी नहीं हो पाया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद और तय समय सीमा पूरी हो जाने के 5 साल बाद भी गैस पीड़ित बस्तियों में शुद्ध पेयजल पाइप लाइन से नहीं पहुँचाया जा सका है।
भोपाल से- मोहम्मद फैजान खान

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi