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मतदाताओं को अधिकार मिले-सोमनाथ

जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का मामला

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नई दिल्ली (वार्ता) , शनिवार, 29 सितम्बर 2007 (10:26 IST)
लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने 53वें राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन में मतदाताओं को जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार दिए जाने की पुरजोर वकालत की। हालाँकि सम्मेलन के कुछ अन्य प्रतिनिधियों ने इससे असहमति व्यक्त की।

संसदीय सम्मेलन के अंतिम दिन 'जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार' पर आयोजित सत्र में चटर्जी ने कहा कि विधायक या सांसद मतदाताओं को कुछ निश्चित आश्वासन देकर विजयी होते हैं। अत: यदि वे अपने कार्यकाल में वादाखिलाफी करते हैं तो मतदाताओं को उन्हें वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए।

सम्मेलन की समाप्ति पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चटर्जी ने कहा कि मतदाताओं को यह अधिकार किस रूप में दिया जाए, इसकी सुविचारित प्रणाली तैयार की जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हड़बड़ी की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन विधायकों और सांसदों में जवाबदेही सुनिश्चत करने के लिए समुचित प्रणाली बनाई जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नामांकन पत्र भरते समय प्रत्याशी समुचित आचरण का आश्वासन देता है तथा चुनाव प्रचार के दौरान अपने घोषणा-पत्र और नीतियों के आधार पर वोट माँगता है। निर्वाचित होने के बाद वह इन पर कायम रहे। संसदीय लोकतंत्र में इसकी व्यवस्था होना चाहिए।

विधान मंडलों की कार्यवाही के दौरान सांसदों, विधायकों के अवांछनीय व्यवहार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि निर्वाचित प्रतिनिधि मर्यादित आचरण नहीं करते तो उन्हें ऐसा आचरण करने के लिए बाध्य करने की व्यवस्था होना चाहिए1

राष्ट्रकुल के कुछ अन्य प्रतिनिधियों का कहना था कि जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने की व्यवस्था अव्यावहारिक है तथा इसका दुरुपयोग हो सकता है।

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