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मैं बजरंग दल का सदस्य-अर्जुनसिंह

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नई दिल्ली (वार्ता) , शुक्रवार, 9 मई 2008 (11:04 IST)
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुनसिंह ने खुद को बजरंग दल का अकिंचन सदस्य बताया है। सीधे भगवान राम से आत्मीय संवाद में उन्होंने इस बात पर पश्चाताप जाहिर किया है कि अगर तुलसीदास अयोध्या में राम के जन्म स्थान पर बने मंदिर का जिक्र कर देते तो देश में अशांति नहीं होती।

सिंह को सच्चे रामभक्त के रूप में पेश करने वाली पुस्तक 'मोहिं कहाँ विश्राम' में उनके हस्तलेख में एक पत्र प्रकाशित किया गया है।

उन्होंने दिल का ऑपरेशन होने से पहले यह पत्र भगवान राम-रहीम और ईसा मसीह को लिखा और अपने अंतर्मन की भावनाएँ इसमें व्यक्त की थीं। यह वह समय था, जब राम जन्मभूमि आंदोलन अपने उफान पर था।

पुस्तक का विमोचन शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल करेंगी। इसमें एक दीर्घ साक्षात्कार में अर्जुनसिंह ने कांग्रेस में निर्णय लेने की प्रक्रिया में खोट आने की ओर अँगुली भी उठाई है।

उन्होंने गर्व से खुद को बजरंग दल का सदस्य बताया है, लेकिन भगवान राम से उनका कहना है कि मैं आपके अनन्य भक्त बजरंग बली के दल का हूँ, जिनका एकमात्र आदर्श था- राम काज कीन्हे बिना मोहिं कहाँ विश्राम। यह पत्र जस का तस प्रकाशित कर दिया गया है।

इसमें फुटनोट लिखते हुए सिंह ने राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में भी अपनी बात खुलकर कही है। उन्होंने राम से कहा है कि भगवन! आपकी प्रेरणा से तुलसीदास ने आपकी महिमा का वर्णन कर सभी प्राणियों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में राम चरितमानस दिया। इतनी कृपा और कर देते तो इस देश पर आपत्ति के बादल नहीं मँडराते। अच्छा होता यदि तुलसीदास ने अयोध्या में आपके जन्म स्थान पर निर्मित मंदिर का भी वर्णन कर दिया होता।

इस मामले में सिंह प्रभु राम से सद्‍बुद्धि भी माँग रहे हैं, ताकि वे अनुत्तरित प्रश्न का जवाब तलाश सकें। वे लिखते हैं कि हम सबको कम से कम इतनी सद्‍बुद्धि तो जरूर दीजिए कि इनका उत्तर आपके सच्चे भक्तों की भाँति खोजने का प्रयास तो करें।

फिल्मों के शौकीन हैं अर्जुनसिंह

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