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यूपी के विभाजन को मायावती की हरी झंडी

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लखनऊ , बुधवार, 16 नवंबर 2011 (00:17 IST)
उत्तरप्रदेश की मायावती सरकार ने राज्य का पुनर्गठन करने की मांग की दिशा में औपचारिक कदम उठाते हुए मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में इस सूबे को चार राज्यों में बांटने संबंधी प्रस्ताव को 21 नवम्बर को शुरू हो रहे राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पारित कराने का फैसला किया।

मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि छोटे राज्यों के गठन के लिए केन्द्र पर फिर से दबाव बनाने और जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने एवं सर्वसमाज के हित में मंत्रिपरिषद ने उत्तरप्रदेश का चार नए राज्यों पूर्वाचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश में विभाजन करने के लिए आगामी 21 नवम्बर को शुरू हो रहे राज्य विधानमंडल सत्र में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजने का फैसला किया है।

उन्होंने अपेक्षा की कि केन्द्र सरकार इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए अपने सभी संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करेगी, क्योंकि राज्य के पुनर्गठन का निर्णय लेने का अधिकार केन्द्र सरकार को ही है।

मायावती ने कहा कि प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए और इसकी आबादी तथा विशाल क्षेत्रफल को देखते हुए समुचित प्रशासन तथा विकास के लिए इसे छोटे राज्यों में बांटना बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि यहां यह भी विदित है कि यह काम केन्द्र का है, लेकिन दुख की बात है कि कांग्रेस और भाजपा ने अपने कार्यकाल में इस दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाया। हमारी सरकार इसके लिये कई बार अनुरोध भी कर चुकी है और इस संबंध में प्रधानमंत्री को कई पत्र लिखे गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद संख्या तीन के अनुसार किसी राज्य का नाम बदलने अथवा उसे पुनर्गठित करने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास है और नए राज्यों का गठन केन्द्र की पहल के बिना सम्भव नहीं है। हमें उम्मीद थी कि केन्द्र इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक फैसला लेगा, लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया।

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी तथा सरकार बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की सोच के मुताबिक देश में छोटे राज्यों और अन्य छोटी इकाईयों के गठन की समर्थक रही है। इस बारे में हमारा मानना है कि अगर प्रशासनिक इकाइयां छोटी होंगी तो कानून व्यवस्था और विकास कार्यों की स्थिति को बेहतर बनाने में प्रशासनिक तंत्र तथा जनता दोनों को ही सुविधा होगी। (भाषा)

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