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रमेश घिरे, बयान पर वबाल

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नई दिल्ली , मंगलवार, 24 मई 2011 (23:54 IST)
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आईआईटी और आईआईएम को ‘विश्व स्तरीय’ नहीं मानने की अपनी टिप्पणियों पर पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश घिर गए। आईआईएम के प्रोफेसरों और भाजपा ने ही नहीं, बल्कि कैबिनेट में उनके सहयोगी अश्विनी कुमार ने भी रमेश के बयानों की आलोचना करते हुए टिप्पणियों को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया।

आईआईएम के प्रोफेसरों ने रमेश को जहां आड़े हाथ लिया, वहीं भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर तीखी बयानबाजी हुई।

रमेश खुद भी आईआईटी मुंबई के छात्र रह चुके हैं। उन्होंने कल एक समारोह में कहा था कि आईआईटी के जरिए बमुश्किल ही कोई महत्वपूर्ण शोध आ पाता है। आईआईटी में शिक्षक विश्व स्तरीय नहीं हैं। आईआईटी में जाने वाले विद्यार्थी विश्व स्तरीय हैं। लिहाजा, आईआईटी और आईआईएम उनके शिक्षकों या शोध की गुणवत्ता के कारण नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की गुणवत्ता के कारण उत्कृष्ट हैं।

हालांकि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री अश्विनी कुमार ने रमेश की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। कुमार ने कहा कि मैं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हूं। मैं यह कहने की बेहतर स्थिति में हूं कि हमारे वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी संस्थानों ने हमें गौरवान्वित किया है। यह वक्त भारत के प्रतिष्ठानों की उपलब्धियों पर जश्न मनाने का है। हम अपने वैज्ञानिकों का मनोबल नहीं गिरा सकते। हम अपनी उपलब्धियों का महत्व कम नहीं कर सकते। मुझे नहीं लगता कि रमेश का नजरिया सही है।

रमेश की टिप्पणियों पर भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि हमें अपने इन विशिष्ट संस्थानों पर गर्व है और मंत्री को ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए।

रूड़ी ने रमेश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारे यहां तब तक विश्व स्तरीय संस्थान नहीं होंगे जब तक कि हमारे पास विश्व स्तरीय मंत्री नहीं होंगे। हमारे यहां विश्व स्तरीय मंत्रियों की कमी है।

भाजपा प्रवक्ता की प्रतिक्रिया में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि हमें तृतीय श्रेणी के लोगों से बेवजह की सलाह नहीं चाहिए कि किसे प्रथम श्रेणी होना चाहिए और किसे तीसरे दर्जे का। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने रमेश की टिप्पणियों का वस्तुत: बचाव करते हुए कहा कि रमेश का अपना नजरिया है। उन्हें अपना नजरिया रखने दिया जाए।

उधर, आईआईटी-मद्रास के निदेशक एमएस अनंत ने कहा कि मेरे 50 फीसदी शिक्षकों को अमेरिका और अन्य देशों के श्रेष्ठ संस्थानों में नौकरी मिल सकती है, लेकिन वे यहां पढ़ाने को तरजीह देते हैं। रमेश की टिप्पणियों को आईआईएम के प्रोफेसरों ने भी ‘एकतरफा’ करार दिया। प्रोफेसरों ने कहा कि ये टिप्पणियां अत्यधिक अज्ञानता का नतीजा हैं।

आईआईएम-अहमदाबाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने कहा कि यह दर्शाता है कि जयराम रमेश को इन संस्थानों की बौद्धिक क्षमताओं के बारे में काफी अज्ञानता है। मैं इस बात का खंडन करता हूं कि इन संस्थानों को काफी अधिक प्रयास करने की जरूरत है। आईआईएम अहमदाबाद के एक और प्रोफेसर सेबेस्टियन मॉरिस ने कहा कि रमेश की टिप्पणियां ‘एकतरफा’ हैं।

उन्होंने कहा कि अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि आईआईएम और आईआईटी के काफी शिक्षकों के पास उतनी ही शैक्षणिक योग्यता और पृष्ठभूमि है, जितनी शीर्ष संस्थानों के शिक्षकों के पास हैं। यहां के शिक्षकों ने भी अपनी पीएचडी विदेशों से की है। (भाषा)

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