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राम मंदिर बुझा हुआ कारतूस:प्रभाष जोशी

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नई दिल्ली (वार्ता) , मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009 (11:33 IST)
प्रख्यात पत्रकार प्रभाष जोशी ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी द्वारा एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा उछाले जाने पर कहा है कि यह 'बुझा हुआ कारतूस' है और इससे कुछ नहीं होने वाला।

जोशी ने कहा कि दरअसल पूरे मुल्क ने देख लिया है कि भाजपा को न तो राम से मतलब है और न ही राम मंदिर से और जैसे ही चुनाव सिर पर होता है वह यह मुद्दा उछाल देती है, इसलिए उसे इस मुद्दे का इस चुनाव में कोई फायदा नहीं मिलने वाला।

हालाँकि उन्होंने भाजपा के इस आरोप से सहमति प्रकट की कि कांग्रेस के युवा नेता को राजनीतिक विरासत उनके पिता से मिली है।

उन्होंने इससे पूर्व 'भारत विश्व का नेतृत्व कैसे करे' विषय पर आयोजित स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अब्दुल कय्यूम व्याख्यानमाला में सांप्रदायिकता को शह दिए जाने को खतरनाक बताते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय जनमानस में रची-बसी हुई है और इसके कई प्रमाण हैं।

उन्होंने आरक्षण की चर्चा करते हुए कहा कि पिछड़े मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी खराब है। उन्होंने दु:ख प्रकट किया कि प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान से उत्तीर्ण छात्र पैसा बनाने के लिए विदेश जा रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने देश के लोगों की गरीबी, विषमता नजर नहीं आती और सरकार इन्हीं लोगों के बल पर दंभ भरती है कि भारत दुनिया को रास्ता दिखाएगा।

इससे पूर्व जाने-माने पत्रकार कुलदीप नैयर ने कहा कि देश में हिंदू-मुसलमान समान हैं, इसलिए सभी बातों में उनकी समान हिस्सेदारी भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि हम समाज को गरीबी, कट्टरता से दूर रख पाते हैं तो हमारे लिए यह बहुत बडी उपलब्धि होगी। उन्होंने कहा कि हमें युवाओं को यकीन दिलाना होगा कि धर्मनिरपेक्ष रहने पर ही तरक्की होगी।

दोनों वक्ताओं ने अर्जुन सेनगुप्ता समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश में बहुत से लोग महज 20 रुपए की दिहाड़ी पर जीते हैं और बहुतों को खाना मयस्सर नहीं होता है और यह स्थिति सभी धर्म और जाति के लोगों के लिए है। बगैर इसको दूर किए भारत विश्व को नेतृत्व देने की स्थिति में नहीं आ सकता।

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