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श्याम बेनेगल को दादा फालके पुरस्कार

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नई दिल्ली (वेबदुनिया) , गुरुवार, 9 अगस्त 2007 (10:02 IST)
PIBPIB
मशहूर निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल को भारतीय फिल्मों का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फालके पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।

बेनेगल को 2005 के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल किसी समारोह में बेनेगल को पुरस्कार के रूप में दो लाख रुपए, स्वर्ण कमल और शाल प्रदान करेंगी।

बेनेगल की फिल्मों की विषयवस्तु भिन्न-भिन्न रही है, लेकिन उनके केन्द्र में हमेशा समकालीन भारतीय अनुभव रहा है। विकास की समस्याएँ, सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव को अपनी फिल्मों का कथानक बनाकर उन्होंने सत्तर के दशक में हिन्दी सिनेमा में नई जमीन बनाई। आम भारतीय महिला की वेदना उनकी फिल्मों में कई बार उजागर हुई है।

विज्ञापन कंपनी की नौकरी छोड़ सिनेमा को अपनाने वाले बेनेगल का जन्म 1934 में आंध्रप्रदेश में हुआ। उनकी पहली फिल्म अंकुर थी, जो 1973 में बनी। शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह, स्मिता पाटिल, ओम पुरी जैसे कलाकारों को ख्याति देने में बेनेगल का बड़ा योगदान रहा।

बेनेगल ने अंकुर के अलावा निशांत, मंथन, भूमिका, कोंडुरा, जुनून, कलयुग, मंडी, त्रिकाल, सूरज का सातवाँ घोड़ा, मम्मो, सरदारी बेगम, समर, द मेकिंग ऑफ द महात्मा, जुबैदा और नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसी चर्चित फिल्में और वृत्तचित्र बनाए। बेनेगल पुणे के राष्ट्रीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में वर्षों पढ़ा भी चुके हैं।

वे राष्ट्रीय एकता परिषद और राष्ट्रीय कला परिषद जैसी शीर्ष संस्थाओं के सदस्य भी रह चुके हैं। सरकार उन्हें पद्‍मश्री और पद्‍मभूषण से अलंकृत कर चुकी है।

14 दिसंबर 1934 में हैदराबाद जिले के त्रिमूलघेरी में जन्मे श्याम बेनेगल वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं। उन्हें 2006 में राज्यसभा के लिए नामित किया गया था।

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