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सहयोगी दल, विपक्ष ने की मूल्यवृद्धि वापसी की मांग

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नई दिल्ली , शनिवार, 15 सितम्बर 2012 (08:40 IST)
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संप्रग के सहयोगी दलों और विपक्षी पार्टियों ने डीजल मूल्यवृद्धि को तत्काल वापस लेने की जोरदार मांग करते हुए इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है, जबकि समाजवादी पार्टी ने कहा है कि वह कड़ा कदम उठाने में संकोच नहीं करेगी

कांग्रेस ने जहां एक ओर सरकार के निर्णय को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अचानक आई बढ़ोतरी के चलते मजबूरी में उठाया गया कदम करार दिया, वहीं कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री ने इसमें आंशिक कमी करने की मांग की।

संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी के महासचिव नरेश अग्रवाल ने इस कदम को अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने मूल्यवृद्धि के मुद्दे पर इस सरकार को न कभी समर्थन किया है और न कभी करेगी। जरूरत पड़ने पर हम कड़ा कदम उठाने में संकोच नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा, हम इस मूल्यवृद्धि का विरोध करते हुए सड़कों पर उतरेंगे। संप्रग सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने डीजल मूल्यवृद्धि और रसोई गैस सिलेंडरों की राशनिंग का विरोध किया है तथा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी मूल्यवृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर शनिवार को कोलकाता में एक रैली का नेतृत्व करेंगी।

संप्रग के एक अन्य सहयोगी द्रमुक ने मूल्यवृद्धि को अत्यधिक और अप्रत्याशित करार देते हुए उसे वापस लेने की मांग की।

संप्रग सरकार को समर्थन देने वाले राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने सरकार के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उस पर पुनर्विचार करने की मांग की, जबकि बसपा प्रमुख मायावती ने जनता विरोधी निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की। भाजपा ने इस कदम को क्रूर मजाक और आम आदमी और किसानों के लिए बड़ा झटका करार दिया और सरकार पर पेट्रोल माफिया के साथ सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि वह यह बढ़ोतरी नहीं होने देगी और इसके खिलाफ सड़क पर उतरेगी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस भारी वृद्धि और घरेलू सिलेंडरों की राशनिंग के लिए केंद्र की आलोचना की और कहा कि उसने उन लोगों के साथ क्रूर मजाक किया है, जो महंगाई से पहले से ही प्रभावित हैं।

केरल में कांग्रेसनीत यूडीएफ का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा, वृद्धि को पूरी तरह से वापस लेना मुश्किल है, केंद्र को कम से कम वृद्धि में कमी करनी चाहिए।

सरकार ने कल डीजल की कीमत प्रति लीटर 5.63 रुपए करने के साथ ही घरेलू गैस के सिलेंडरों की राशनिंग कर दी, जिससे अब एक घर को एक वर्ष में केवल छह ही सब्सिडी वाले सिलेंडर मिलेंगे।

कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि चूंकि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत में बढोतरी हुई है, इसलिए सरकार को मजबूरी में इस तरह का कदम उठाना पड़ा। भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू ने कहा कि एलपीजी सिलेंडर की संख्या सीमित किए जाने से प्रत्येक परिवार पर हर माह कम से कम 750 रुपए का बोझ बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार बेपरवाह हो गई है और उसने लोगों से कोई मतलब नहीं वाला रवैया अपना लिया है। चुनाव के पहले 'कांग्रेस का हाथ आम लोगों के साथ' वाली सरकार का नारा 'कांग्रेस का हाथ लोगों के साथ एक विश्वासघात' है।

कोलकाता में ममता बनर्जी ने कहा, हम नाराज हैं और आश्चर्यचकित हैं कि लंबे समय के बाद संप्रग समन्वय समिति के गठन के बावजूद बिना हमसे विचार-विमर्श किए यह फैसला किया गया। पश्चिम बंगाल में केंद्र के इस फैसले के खिलाफ बस संगठनों ने 17 सितंबर से अनिश्चिकालीन हड़ताल का आह्वान किया है।

ज्वाइंट कौंसिल ऑफ बस सिंडिकेट ने कहा है कि कीमत बढ़ोतरी वापस लिए जाने तक यह हड़ताल जारी रहेगी। इस संगठन से करीब 35000 बसें जुड़ीं हुई है। चेन्नई में द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने कहा कि मूल्य वृद्धि से गरीब और वेतनभोगी वर्ग ही प्रभावित होगा, जो पहले ही जरूरी वस्तुओं की कीमत में इजाफे से परेशान है। उन्होंने कहा कि मुद्दे पर केंद्र ने उनकी पार्टी से परामर्श नहीं किया।

डीजल कीमतों में बढोत्तरी को जनता के साथ भारी धोखा करार देते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सरकार के इस फैसले के बहाने तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधने का प्रयास किया और आरोप लगाया कि तृणमूल का यह कहना पाखंड है कि उससे विचार-विमर्श नहीं किया गया।

पार्टी इस फैसले के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी। माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि डीजल कीमतों में बढ़ोतरी और एलपीजी की संख्या सीमित किए जाने से आम आदमी प्रभावित होगा। माकपा पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा कि सरकार ने जनता के साथ भारी घोखा किया है। डीजल की कीमतों में इस बढ़ोतरी का असर दूसरी चीजों पर पड़ेगा और महंगाई से पहले से ही जूझ रही जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

तेल की कीमत में बढ़ोतरी के मुद्दे को लेकर केंद्र पर सही आर्थिक नीति के अभाव का आरोप लगाते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने वृद्धि को फौरन वापस लेने और सब्सिडी आधारित सिलेंडर की आपूर्ति सीमित किए जाने के कदम को वापस लेने की मांग की है।

भुवनेश्वर में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्र के इस कदम की आलोचना करते हुए तुरंत इसे वापस लेने की मांग की है।

शिरोमणि अकाली दल ने कीमत बढ़ोतरी को तुरंत वापस न लिए जाने पर आंदोलन छेड़ने की धमकी दी है। शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता ने कहा कि डीजल कीमतों में वृद्धि से आवश्यक वस्तुओं की कीमत पर प्रभाव पड़ेगा, जो पहले ही आम आदमी की पहुंच के बाहर है।

पुणे में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की महिला कार्यकर्ताओं ने कीमत वृद्धि के खिलाफ शहर के प्रमुख चौराहे पर चूल्हे पर काली चाय बनाकर बांटा और सरकार विरोधी नारे लगाए।

इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) ने राजनीतिक पार्टियों द्वारा डीजल कीमत बढ़ोतरी का विरोध किए जाने को एक ड्रामा बताते हुए तुरंत मूल्यवृद्धि वापस लिए जाने की मांग की है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा, पार्टियों ने अपना ड्रामा शुरू कर दिया है। अब वे बंद करेंगे और नारे लगाएंगे। तीन-चार दिनों के प्रदर्शन के बाद सरकार एक रुपए कीमत कम कर देगी। फिर हर कोई खामोश हो जाएगा। यह पटकथा कई बार दोहराई जा चुकी है। जम्मू-कश्मीर में शिवसेना प्रमुख अशोक गुप्ता की अगुवाई में पार्टी और डोगरा फ्रंट के 300 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने एक विरोध रैली निकाली।

रूडी ने कहा, यह सरकार अब जितने मिनट, घंटे और दिन सत्ता में बनी रहेगी, वह आम आदमी पर प्रहार पर प्रहार करती रहेगी। यह संख्या बल के आधार पर देश की जनता पर अत्याचार कर रही है।

संसद की बजाए सड़कों पर इस सरकार को चुनौती देने के भाजपा के फैसले को सही बताते हुए रूडी ने कहा कि लोकसभा या राज्यसभा में महज चर्चा के नाम पर चर्चा कराने का कोई तुक नहीं है, क्योंकि संख्या बल होने के कारण यह कांग्रेसनीत सरकार आम जनता की परेशानियों सहित विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों को कोई महत्व ही नहीं देती है।

उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार ने पिछले बजट में कॉर्पोरेट जगत और उद्योपतियों को पांच लाख करोड़ रुपयों की रियायत दी थी, लेकिन आम आदमी को रियायत देने की बजाय यह दिन-ब-दिन उस पर बोझ ही लादती जा रही है।

रूडी ने आरोप लगाया, आम आदमी के नाम पर सत्ता में आई इस कांग्रेसनीत सरकार को आम आदमी से ही दुश्मनी है और यह उसे सबक सिखाना चाहती है। डीजल के दाम पांच रुपए बढ़ाए जाने को आम आदमी पर बोझ लादना बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा प्रयोग किसान ट्रेक्टरों से खेत जोतने, खेतों में बोवनी करने, अनाज को बाजार ले जाने और सूखाड़ में सिंचाई के लिए करता है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा डीजल का सबसे अधिक प्रयोग भारतीय रेलवे करती है, जिसके जरिए हर दिन औसतन 10 लाख आम आदमी अपने गंतव्‍य स्थानों को जाते हैं।

कांग्रेसनीत सरकार पर सारी शर्म खो चुकने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि देश अब मनमोहन सरकार की ओर से लगातार की जा रही गलतियों को माफ नहीं कर सकता है और इस सरकार को बदलने का समय आ गया है।

मूल्‍यवृद्धि से पंजाब के किसानों पर 500 करोड़ का बोझ : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (अर्थशास्त्र विभाग) के प्रमुख एमएस सिद्धू ने बताया कि डीजल की दरों में वृद्धि के कारण किसानों की खेती की लागत में इजाफा होगा, क्योंकि इससे इससे पंजाब के कृषि क्षेत्र पर करीब 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा।

हड़ताल कर सकती है मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस : ट्रक परिचालकों के संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के प्रवक्ता जीपी सिंह ने कहा कि अगर सरकार डीजल के दाम में वृद्धि को वापस नहीं लेती है तो वह देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सकता है।

बढ़ सकती है खाद्य वस्तुओं की कीमतें : इंडियन सुगर मिल्स एसोसिएशन (इसमा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, डीजल के दाम 5 रुपए बढ़ने से परिवहन लागत बढ़ने के कारण देशभर में गेहूं तथा खाद्य तेल समेत जरूरी खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतों में वृद्धि की आशंका है।

भाड़ा बढ़ाने की रेलवे की योजना नहीं : रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि के बावजूद रेलवे की मालभाड़े में बढ़ोतरी करने की अभी कोई योजना नहीं है। डीजल की कीमतों में वृद्धि से रेलवे पर हर साल तकरीबन बारह सौ करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। (भाषा)

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