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सीमांध्र को विशेष दर्जा को कैबिनेट की मंजूरी

हमें फॉलो करें सीमांध्र को विशेष दर्जा को कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली , सोमवार, 3 मार्च 2014 (12:06 IST)
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नई दिल्ली। सीमांध्र क्षेत्र को 5 वर्षों तक ‘विशेष दर्जा’ प्राप्त रहेगा। यह निर्णय रविवार रात केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किया जिसने दोनों क्षेत्रों की चिंताओं के समाधान के लिए हाल में पारित आंध्रप्रदेश पुनर्गठन विधेयक में दो संशोधनों को भी मंजूरी दे दी।

पहला संशोधन पोलावरम ऊर्जा परियोजना के चलते विस्थापित लोगों के पुनर्वास से संबंधित है, दूसरा एनटीपीसी जैसी इकाइयों द्वारा उत्पादित बिजली तेलंगाना और सीमांध्र के बीच बांटने से संबंधित है।

2 घंटे चली मंडिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई उस घोषणा को मंजूरी दी गई जिसमें उन्होंने 13 जिलों वाले सीमांध्र क्षेत्र 5 वर्ष तक विशेष दर्जा प्रदान करने की बात कही थी।

केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने बताया कि मंत्रिमंडल ने योजना आयोग को निर्देश दिया कि वह प्रधानमंत्री की ओर से की गई घोषणा के तहत सीमांध्र के 13 जिलों को विशेष दर्जा देने के निर्णय को क्रियान्वित करे।

उन्होंने बताया कि योजना आयोग प्रशासनिक इकाई है और केंद्रीय सहायता उसके जरिए प्रदान की जाएगी। प्रस्ताव में सीमांध्र के लिए कर प्रोत्साहन जैसे छह सूत्री विकास पैकेज शामिल हैं।

रमेश ने बताया कि इसमें राज्य के वित्तीय आधार को मजबूती प्रदान करने के लिए इसमें रायलसीमा के 4 जिले और उत्तर तटवर्ती आंध्र के 3 जिले शामिल होंगे। विधेयक में उत्तराधिकारी राज्य आंध्रप्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए विशेष विकास पैकेज का प्रावधान है जिसमें विशेषतौर पर रायलसीमा और उत्तर तटवर्ती आंध्रप्रदेश के जिले शामिल हैं।

विकास पैकेज ओडिशा में केबीके (कोरापुत-बोलंगीर-कालाहांडी) विशेष योजना और मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश में बुंदेलखंड विशेष पैकेज की तर्ज पर होगा। मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही एक संशोधन लाने का निर्णय किया जिसके तहत केंद्रीय इकाइयों द्वारा उत्पादित 85 प्रतिशत बिजली दोनों राज्यों को जनसंख्या के हिसाब से बांटी जाएगी। विधेयक में यह प्रस्ताव है कि बिजली का बंटवारा गत 5 वर्ष की ऊर्जा खपत के आधार पर होगा।

रमेश ने कहा कि नौकरशाहों को बांटने के लिए समिति सोमवार से काम शुरू कर देगी और सीमांध्र के लिए नई राजधानी का चुनाव करने के लिए एक समिति का जल्द ही गठन किया जाएगा। (भाषा)

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