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सुप्रीम कोर्ट का 'खजाना खोज' में हस्तक्षेप से इनकार

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नई दिल्ली , सोमवार, 21 अक्टूबर 2013 (18:16 IST)
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले में 19वीं सदी के एक किले के अवशेषों में सोने की खोज में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई अभियान में हस्तक्षेप करने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि वह सिर्फ अनुमान के आधार पर कोई आदेश नहीं दे सकता।

प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोगई की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज नहीं करने का अनुरोध स्वीकार करते हुए इस उत्खनन प्रक्रिया की न्यायालय द्वारा निगरानी करने के आग्रह पर जनहित याचिका लंबित रखी है।

न्यायाधीशों ने कहा कि सभी सनसनीखेज मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। न्यायालय के आदेश के लिए कोई आधार होना चाहिए, क्योंकि महज अनुमान के आधार पर वह कोई आदेश नहीं दे सकता है।

वकील मनोहरलाल शर्मा ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें अनुरोध किया गया है कि उत्खनन स्थल पर सुरक्षा और संरक्षण के समुचित बंदोबस्त किए जाएं ताकि छिपा हुआ खजाना मिलने की स्थिति में यह गलत हाथों में न पड़ सके। न्यायालय ने कहा कि इस समय सारे मामले में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है। शर्मा का कहना था कि इस मामले की न्यायालय से निगरानी जरूरी है, क्योंकि ‘कीमती संपदा’ गायब हो सकती है।

उन्नाव के डौंडियाखेड़ा गांव में राजा राम रावबख्श सिंह के किले में 1 हजार टन सोना दबा होने संबंधी साधु शोभन सरकार के सपने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यहां उत्खनन कर रहा है। शोभन सरकार का दावा है कि उत्तरप्रदेश के कई अन्य स्थानों पर भी खजाना छुपा हुआ है।

शुरू में स्थानीय प्रशासन ने उनके दावे को गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन बाद में एक केंद्रीय मंत्री की सरकार से मुलाकात हुई। मंत्री ने पुरातत्व विभाग को इस पर काम करने का निर्देश दिया। इसके बाद ही 18 अक्टूबर को किले के अवशेषों में सोने की तलाश में उत्खनन का काम शुरू किया गया। (भाषा)

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