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हिन्दी में अच्छे सर्च इंजन की जरूरत

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नई दिल्ली (वार्ता) , शनिवार, 14 जुलाई 2007 (11:20 IST)
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए इसके पाठ्‍यक्रम में प्रवासी भारतीय लेखकों के साहित्य को शामिल करने तथा अच्छे हिन्दी सॉफ्टवेयर और सर्च इंजन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

डॉ. सिंह ने आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन को भेजे अपने संदेश में कहा कि आज हिन्दी विश्व भाषा बन चुकी है तथा दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में यह दूसरे स्थान पर है। दुनिया के एक सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी की पढ़ाई हो रही है।

हिन्दी का सम्मान और बढ़ाने का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय लेखकों का साहित्य हिन्दी पाठ्‍यक्रम में शामिल किया जाए तथा जिन देशों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है उनके लिए मानक पुस्तकें तैयार की जाएँ।

प्रधानमत्री ने अपने संदेश में कहा कि उनकी सरकार हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत है। मारीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय स्थापित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने 1975 में नागपुर में हुए पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन में स्वर्गीय इंदिरा गाँधी के भाषण को उद्धृत करते हुए कहा कि हिन्दी में निखार और शक्ति तभी आएगी, जब व्यापारी अपने व्यापार के लिए वैज्ञानिक अपनी खोजों को समझाने के लिए तथा सामान्य जनता आशापूर्ण दृष्टिकोण रखने के लिए इसका प्रयोग होगी। इस विचार पर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है।

अमेरिका तथा विशेषकर न्यूयॉर्क में हो रहे इस सम्मेलन को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया और कहा कि अमेरिका विश्व के विकसित देशों में सबसे आगे है तथा हमारे दोनों देशों की जनता और सरकारों के बीच दोस्ताना रिश्ते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में भारत और अमेरिका के रिश्ते और भी मजबूत होंगे।

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