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बहके सपा नेता, इन विवादास्पद बयानों से लगा दी आग...

श्रवण शुक्ल, नई दिल्ली से।

हमें फॉलो करें बहके सपा नेता, इन विवादास्पद बयानों से लगा दी आग...
, रविवार, 13 अप्रैल 2014 (10:51 IST)
वैसे तो माननीय गण यानी नेता लोग नपी-तुली बात बोलते हैं..., लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता विवादित बयानबाजी करने में किसी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ते। कभी-कभी पार्टी के मुखिया ही ऐसा विवादित बयान दे देते हैं जिसके चलते उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ता है। बात सिर्फ आलोचना किए जाने तक और उसे फिर भूल जाने तक रहे तो ठीक, लेकिन कुछ ऐसे विवादित बयान भी सपा नेताओं द्वारा दिए गए हैं जिसे कोई भी कभी भी नहीं भूल सकता।

सपा नेताओं की जुबान कभी आम लोगों के लिए फिसलती है, कभी दुष्कर्म मामलों पर, तो कभी देश के खिलाफ। वैसे सपा अक्सर जातिवाद की राजनीति करती नजर आती है। वैसे नेताजी... कहीं आपकी इस बयानबाजी के बाद वोटर्स गलती करने पर आ गए तो आपकी खाट खड़ी होनी तय है। चलिए हम आपको सपा नेताओं के उन बयानों से परिचित कराते हैं जो बेहद विवादास्पद हैं।
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लड़कों से गलती हो जाती है, उन्हें फांसी देना गलत... : यह तो मौजूदा और ताजा मुलायम सिंह का विवादित बयान है। मुलायम सिंह ने अपने एक बयान में कहा था कि लड़कियां दुष्कर्म के कानून का गलत इस्तेमाल करती हैं। जब तक उनके और उनके पुरुष मित्र के बीच सब ठीक रहता है, तब तक तो ठीक अन्यथा उसके ऊपर वे दुष्कर्म करने का आरोपी लगा देती हैं और उन्हें फांसी की सजा मिल जाती है, जो कि गलत है। लड़कों से गलतियां होती हैं, लेकिन उन्हें फांसी नहीं मिलनी चाहिए। मुलायम ने यह भी कहा था कि यदि उनकी सरकार केंद्र में आती है तो वे दुष्कर्म के कानून में भी बदलाव करेंगे।

यानी यह कहना सही होगा कि मुलायम सिंह दुष्कर्म जैसी वारदातों को लेकर सख्त रवैया नहीं अपना सकते। एक तरफ देश के लोग दुष्कर्मियों को फांसी से भी बड़ी सजा यदि कुछ हो तो देने की मांग करते हैं तो दूसरी तरफ नेताजी इस तरह के बेतुके बयान देते हैं जिससे देश की महिलाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। बहरहाल, यह भी यहां पर कहा जा सकता है कि हो सकता है यह नेताजी का निजी अनुभव रहा हो, उन्होंने कभी ऐसी कोई गलती की हो। वह कहावत हैं न कि ‘अनुभव ही बोलता है’।

अगले पन्ने पर... पत्रकार से मुलायम ने पूछा- ‘तुम्हारे घर में कौन मरा है’


कानपुर में पिछले दिनों जूनियर डॉक्टरों पर बर्बरतापूर्वक हुए लाठीचार्ज के बाद जब डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी तो कुछ मरीजों की मौत हो गई थी। जब सपा मुखिया से एक पत्रकार ने पूछा कि डॉक्टरों की हड़ताल के चलते कुछ लोग मर गए हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं? वैसे तो ऐसे प्रश्न पर किसी को भी शर्म आना लाजमी था लेकिन मुलायम सिंह ने उल्टा प्रश्नकर्ता से ही सवाल कर लिया।

उन्होंने पत्रकार से पूछा कि तुम्हारे घर में भी कोई मरा है? तुम्हारे घर में कौन मरा है? साथ ही मुलायम ने यह भी कहा कि मीडिया यदि सही खबरें दिखाना शुरू कर दे तो मौतें अपने आप कम हो जाएंगी। मीडिया घटना को तिल का ताड़ बनाकर दिखाती है।

आजम खां के इस बयान ने पार कर दी सारी हदें, अगले पन्ने पर..


सपा में वैसे तो एक से बढ़कर एक विवादित बयान देने वाले नेता हैं, लेकिन इनमें शीर्ष पर नाम आता है सपा नेता आजम खां का। आजम खां ने देश को भी नहीं छोड़ा। आजम ने एक बार तो भारतमाता को ‘डायन’ की संज्ञा प्रदान कर दी थी। वह भी हजारों की भीड़ वाली सभा में। इतना ही नहीं, आजम ने हाल में सैनिकों की बाबत ऐसा बयान दे डाला जिससे सैनिकों और देशवासियों की भावना को ठेस पहुंचना लाजमी है। आजम ने कहा कि कारगिल युद्ध मुस्लिम सैनिकों ने जीता था, हिन्दू सैनिकों ने नहीं।

बात यहां पर किसने जीता था, की नहीं हो रही है। बात यहां पर यह है कि सैनिकों के लिए देश सर्वप्रथम है, उनके लिए जात-पात प्रथम नहीं है। तो आजम ने ऐसा बयान क्यों दिया? एक तरफ कार्टूनिस्ट आसीम त्रिवेदी को कार्टून बनाने के लिए देशद्रोह और राजद्रोह का आरोपी बना दिया जाता है दूसरी तरफ भारत मां को ‘डायन’ कहने वाले के खिलाफ प्राथमिकी तक नहीं दर्ज होती।

नरेश अग्रवाल ने नरेन्द्र मोदी पर दिया यह विवादित बयान... अगले पन्ने पर...


वैसे तो राजनीति में बयानबाजी होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन बयानबाजी यदि जरूरत से ज्यादा हो जाए तो खुद ही बयान देने वाला नेता अथवा जनप्रतिनिधि जनता की नजरों में गिर सकता है। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने हरदोई में एक सभा को संबधित करते हुए कहा- ‘मैं कहता हूं कि चाय की दुकान से उठने वाले का नजरिया कभी राष्ट्रीय स्तर का नहीं हो सकता, ठीक वैसे ही जैसे कि एक सिपाही को कप्तान बना दिया जाए तो उसका नजरिया कप्तान का नहीं हो सकेगा। भीड़ तो मदारी भी जुटा लेता है।’

फिसली अबु आजमी की जुबान, कहा...


वैसे तो अक्सर यदि पार्टी के किसी नेता ने गलती कर दी है तो पार्टी के अन्य सदस्य उस नेता का भरपूर बचाव करते हैं। लेकिन महाराष्ट्र राज्य के सपा अध्यक्ष अबु आजमी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। एक तरफ मुलायम सिंह यादव ने उक्त बयान दुष्कर्म की बाबत दिया, फिर आजमी ने भी उनके कंधों से कंधे मिला दिए। आजमी ने तो दुष्कर्म पीड़िता को ही फांसी पर चढ़ाने की वकालत कर दी। मुलायम सिंह का बचाव करते हुए उनके विवादित बयान पर सवाल पूछने पर अबु आजमी ने कहा कि इस्लाम में दुष्कर्मियों के लिए मौत की सजा है, उन्हें फांसी दी जाती है। लेकिन यहां यह केवल पुरुषों के लिए है, भले उसमें महिला भी दोषी हो। आजमी ने कहा कि उस महिला को भी फांसी दी जानी चाहिए जिसने आपसी सहमति से अथवा शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाए हो।

दंगों से मुस्लिमों को ज्यादा नुकसान : अभी हाल में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सपा मुखिया मुलायम सिंह ने कहा था कि यदि देश में दंगे होते हैं तो उसमें सबसे ज्यादा नुकसान सिर्फ मुस्लिमों को होता है, क्योंकि वे अल्पसंख्यक हैं। यहां पर शायद नेताजी यह भूल गए थे कि जब दंगे होते हैं और तलवार और लाठियां असामाजिक तत्व ही निकालते हैं तो सामने वाला उसे चाहे जिसकी दुहाई (ईश्वर अथवा अल्लाह) दे, कुछ भी काम नहीं आती। यदि कुछ दिखाई देती है तो सिर्फ सामने वाली की गर्दन।

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