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‘मामूली सनक’ से मूल्यों से हटी भाजपा: जसवंत

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नई दिल्ली , सोमवार, 31 मार्च 2014 (11:27 IST)
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नई दिल्ली। अनुशासनहीनता के आरोपों में भाजपा से निष्कासित किए जाने के एक दिन बाद जसवंत सिंह ने पार्टी पर बरसते हुए कहा कि इसने अपना दृष्टिकोण खो दिया है और क्षणिक राजनीतिक लाभ के लिए व्यक्ति विशेष के ‘मामूली सनक’ पर ध्यान देते हुए अपने मूल्यों से हट गई है।

वर्ष 1980 में पार्टी का गठन होते समय इससे जुड़ने वाले सिंह ने रविवार को कहा कि भाजपा वह नहीं रही जो इसके संस्थापकों अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और भैरोसिंह शेखावत ने कल्पना की थी और मूल्यों, मानकों और अस्वीकार्य शॉर्टकट के बीच ‘पूरी तरह भ्रम’ है।

सिंह ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा, ‘जो पार्टी अपने सबसे वफादारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती और किसी की मामूली सनक के आगे मामूली शिष्टाचार भी नहीं बचे तो उसने निश्चित रूप से अपना दृष्टिकोण त्याज दिया है और क्षणिक राजनीतिक लाभ के लिए अपने गुणों से हट गई है। क्या होगा, यह केवल वक्त बताएगा।’

भाजपा ने सिंह को शनिवार को छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया था। पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार कर्नल सोनाराम चौधरी के खिलाफ राजस्थान के बाड़मेर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ने के लिए उनके खिलाफ पार्टी ने यह कदम उठाया।

सिंह ने ‘कांग्रेस से आए प्रश्नचिह्न लगे सार्वजनिक रिकॉर्ड’ वाले उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने का बचाव करते हुए कहा कि इस क्षेत्र के चुनाव से पता चलता है कि भाजपा जिन मूल्यों को लिए बनी थी उन्हें किस तरह ‘पार्टी अनुशासन’ के नाम पर नष्ट किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र का चुनाव दुखद उदाहरण है कि किस तरह मूल्यों का क्षरण हो रहा है और वास्तव में पार्टी अनुशासन के बहाने उन्हें नष्ट किया जा रहा है, मुद्दों और मूल्यों के बजाए व्यक्तिविशेष की प्रतिबद्धता पर जोर है, तथ्यों को छिपाना और मूल्यों, मानकों एवं अस्वीकार्य शॉर्टकट के बीच पूरी तरह भ्रम फैलाया जा रहा है।’

सिंह ने कहा कि अपने निष्कासन से वह ‘काफी दुखी’ हैं लेकिन बाड़मेर से चुनाव लड़ने का बचाव करते हुए कहा कि जाति को ध्यान में रखकर कांग्रेस उम्मीदवार को उन पर तरजीह दी गई न कि वफादारी को ध्यान में रखकर। सिंह ने कहा, ‘चूंकि इस निर्णय में पारदर्शिता, ईमानदारी और उपयुक्त संवाद की कमी थी इसलिए मैं इस पर सवाल खड़ा करता हूं।’ उन्होंने कहा कि बाड़मेर से भाजपा के किसी भी समर्पित उम्मीदवार का वह समर्थन करते।

भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा था कि कुछ ‘राजनीतिक बाध्यताएं’ हैं जिनके कारण बाड़मेर से जसवंत सिंह को टिकट नहीं देने का निर्णय किया गया। वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राज्य इकाई जाट वोट के लिए चौधरी को टिकट देना चाहती थी।

सिंह ने कहा, ‘पार्टी प्रश्नचिन्ह लगे सार्वजनिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को चुनना चाहती थी जिसने केवल एक दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ी थी। इस निर्णय का बचाव करने के लिए पार्टी ने मेरी जीत की संभावना पर संदेह जताया और मेरे रिकॉर्ड को श्रेय नहीं दिया चाहे यह 1989 में अशोक गहलोत पर हो या दो बार चित्तौड़गढ़ से हो या हाल में दार्जिलिंग से हो। पार्टी ने दल बदलने वाले व्यक्ति के पक्ष में जाति समीकरण बताया लेकिन मैं जाति को न तो स्वीकार करता हूं और न कभी किया है।’ (भाषा)

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