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प्रवासी पक्षी संकटग्रस्त श्रेणी में

सामग्री संयोजन : पंकज शुक्ला

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प्रवासी पक्षियों की दुनिया भी अद्भुत है। पूरे विश्व में पिछले 30 सालों में पक्षियों की 21 प्रजातियाँ लुप्त हो गईं, जबकि पहले औसतन सौ साल में एक प्रजाति लुप्त होती थी। यह आँकड़ा भले ही हमें आश्चर्य में डाल दें, पर यह सच है। यदि हम जल्द ही इन्हें बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं, तो हम प्रकृति की इस अमूल्य रचना को खो देंगे।

पक्षियों की, खासतौर से प्रवासी पक्षियों की, हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रवासी पक्षी अपनी लंबी यात्रा से विभिन्न संस्कृतियों और परिवेशों को जोड़ने का काम करते हैं। उन्हें किसी सीमा में नहीं बाँधा जा सकता। अपनी लंबी यात्रा में वे प्रत्येक साल पहाड़, समुद्र, रेगिस्तान बहादुरी से पार कर एक देश से दूसरे देश का सफर करते हैं।

इस सफर में उन्हें तूफान, बारिश एवं कड़ी धूप का भी सामना करना पड़ता है। इनकी दुनिया भी अद्भुत है, सबकी अपनी-अपनी विशेषता है। पक्षियों की ज्ञात प्रजातियों में 19 फीसदी पक्षी नियमित रूप से प्रवास करते हैं, इनके प्रवास के समय और स्थान भी अनुमानित होते हैं। प्रवासी पक्षी हमारी दुनिया की जैव विविधता के हिस्सा हैं और कई बार उनके आचार-विचार से हमें यह पता लगाने में आसानी होती है कि प्रकृति में संतुलन है या नहीं।

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वैश्विक स्तर पर 192 पक्षी प्रजातियों को अति संकटग्रस्त श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। यदि तत्काल कोई कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो कुछ सालों बाद हम इन संकटग्रस्त पक्षियों को खो देंगे। इन संकटग्रस्त प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम यह होगा कि हमें इनके प्राकृतिक पर्यवास को बचाने के साथ-साथ नए पर्यावास विकसित करने होंगे।

यह जरूरी है कि उनके पर्यावास के पास पर्याप्त सुरक्षा भी हो ताकि उनका शिकार न किया जा सके। भोपाल की झीलें हों या फिर इन्दौर की झीलें या अन्य छोटे-बड़े नम क्षेत्र, हमें उनके प्राकृतिक स्वरूप के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। निश्चय ही ऐसा करके हम न केवल पक्षियों का संरक्षण करेंगे बल्कि जैव विविधता को बचाते हुए अपनी भावी पीढ़ी के जीवन को ही बचाने का काम करेंगे।

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