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ऑस्ट्रेलियाई रोजगार वीजा के नाम पर ठगी

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मेलबोर्न , गुरुवार, 6 जून 2013 (14:41 IST)
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मेलबोर्न। ऑस्ट्रेलिया में काम के लिए वीजा देने के नाम पर बिचौलियों ने कई विदेशी कामगारों से बहुत अधिक पैसे वसूल लिए। ठगी के शिकार इन विदेशी कामगारों में 80 भारतीय हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विदेश कामगारों से लंबे समय के लिए काम और स्थाई आवास का वादा किया गया था। इसकी एवज में इन लोगों से बिचौलियों द्वारा 5,000 से लेकर 40,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर वसूले गए।

करीब 80 भारतीयों से यह कहा गया है कि उन्हें काम मिलने में कठिनाई होगी और ऐसे में उन्हें मेलबोर्न से सफाई से जुड़ा कोर्स करना होगा। इस पढ़ाई के लिए शुल्क सिर्फ 1,300 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर है, लेकिन उनसे 4,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक वसूल लिए गए।

समाचार पत्र ‘द एज’ में प्रकाशित ‘फेयरफैक्स मीडिया’ की खोजी रपट में कहा गया है कि कुछ भारतीयों से एजेंट ने बूचड़खानों में काम करने के लिए कहा। इसके अनुसार वीजा योजना का काफी बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया है और ऑस्ट्रेलिया में ऐसे 200 मामले सामने आए हैं।

ऑस्ट्रेलिया में वीजा योजना आरएसएमएस के उपवर्ग 187 के तहत ऑस्ट्रेलियाई रोजगारदाताओं को विदेशी कर्मचारियों को प्रायोजित करने का अधिकार है। योजना के उपवर्ग 457 के अनुसार रोजगारदाताओं को यह भी अधिकार है कि वे घरेलू श्रमिक बाजार में कमी होने की स्थिति में वे विदेशी कर्मचारियों को रख सकते हैं।

खोजी रिपोर्ट में कहा गया है कि गीलोंग, गोल्ड कोस्ट और फिलीपींस स्थित कंपनियों के नेटवर्क उन लोगों को निशाना बना रहे थे, तो ऑस्ट्रेलिया में अस्थाई काम के लिए वीजा की तलाश में थे।

फिलीपींस के करीब 29 लोगों ने कैनबरा स्थित फिलीपीनी दूतावास में उनसे बेहिसाब शुल्क लिए जाने की शिकायत की थी और जांच की मांग भी की थी।

भारतीय नागरिक 27 वर्षीय भावना वर्मा के अनुसार मेलबोर्न स्थित कंपनी रोडोवान लस्की ने उसके साथ 2012 में लिखित तौर पर यह वादा किया था कि उन्हें रोजगार दिलाया जाएगा। इसकी एवज में उन्होंने 5,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर बतौर शुल्क दिए थे।

उनका कहना है कि उन्हें विक्टोरिया के ओसियन ग्रोव भेजा गया और काम कराने की एवज में कोई वेतन नहीं दिया गया। (भाषा)

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