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थाईलैंड के पटाया में हिन्दी की कोपलें

- रवि भोई

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गौतम बुद्ध के अनुयायियों वाले देश थाईलैंड में हिन्दी की कोपलें फूटने लगी हैं। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक और समुद्र के किनारे बसे पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र पटाया शहर में कहीं-कहीं हिन्दी में लिखे ग्लोसाइन बोर्ड देखने को मिले। भारतीयों के साथ थाईवासी हिन्दी में बात करने का प्रयास करते हैं। भारतीयों को देखकर वे नमस्ते, शुक्रिया आदि कहते हैं। ये हिन्दी के शब्द उनकी जुबान पर छाए हुए हैं। सृजनगाथा संस्थान ने 24 अक्टूबर 2009 को बैंकॉक में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन आयोजित कर थाई और हिन्दी के बीच नई कड़ी जोड़ने का काम किया।

करीब सात करोड़ की आबादी वाले थाईलैंड में हर साल लगभग 60 लाख पर्यटक जाते हैं। इनमें काफी संख्या में भारतीय भी होते हैं। दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र , उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत के राज्यों से हर साल हजारों लोग थाईलैंड जाते हैं। थाईलैंड में कई पंजाबी परिवार सौ साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं। यहाँ पर भारतीय खाना आसानी से मिल जाता है। वहीं कई लोग फर्राटे से हिन्दी बोलते हैं। थाईलैंड में म्यांमार के निवासी भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वे हर भारतीय से हिन्दी में ही बात करते हैं।

थाईलैंड और भारत की संस्कृति काफी कुछ मिलती-जुलती है। कई लड़कियों और लड़कों के नाम भारतीयों जैसे ही हैं। वहाँ के वर्तमान राजा को 'रामा नाइन'के रूप में जाना जाता है। थाईलैंड के निवासी राजा को भगवान की तरह मानते हैं। वहाँ हर चौराहा व सड़क पर राजा और रानी की तस्वीरें दिखाई पड़ती हैं।

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लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के बाद भी वहाँ न तो प्रधानमंत्री के बैनर-पोस्टर दिखते हैं और न ही किसी मंत्री के। थाईलैंड में बसे भारतीय भी राजा से काफी प्रभावित हैं। वहाँ के भारतवंशी राजा के जन्मदिन पर हर साल उनसे मिलते हैं। एक भारतीय ने कहा-'यहाँ के राजा का सबके प्रति समान भाव है। इस कारण वे हर किसी के दिल में बसे हैं।'

थाईवासी फिल्मों के जरिए हिन्दी से जुड़ रहे हैं। वहाँ हिन्दी फिल्में टीवी में प्रसारित होती हैं। इसका अनुवाद अँगरेजी में होता है। वहाँ हिन्दी फिल्मों के 'जय हो...जय हो... और कजरारे...कजरारे ...'गीत लोकप्रिय हैं। थाईलैंड में हिन्दी के प्रति बढ़ते रुझान का एक कारण भारी संख्या में भारतीय पर्यटकों का वहाँ पहुँचना भी है।

इस अवसर पर पटाया टाइम के संपादक योथिन पोमटेम, साहित्यकार दानेश्वर शर्मा, नईदुनिया रायपुर के स्थानीय संपादक रवि भोई, साहित्यकार जेपी रथ, लोककथाकार राम पटवा। कार्यक्रम में साहित्य और कला से जुड़े कई गणमान्य लोग शामिल हुए।

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