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भगोरिया पर्व की परंपरा

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भगोरिया मनाने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। झाबुआ जिले के भगोर गांव से यह मेला शुरू हुआ। इसलिए इसका नाम भगोरिया मेला रख दिया गया। भगोरिया के दौरान अल्हड़ कुर्राट और मांदल की मस्त आवाज लुभाती है।

20 से 26 मार्च के बीच भगोरिया पर्व मनाया जाएगा।

भगोरिया केवल प्रणय या सांस्कृतिक पर्व ही नहीं है, यह एक आध्यात्मिक पर्व भी है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसे प्रौढ़ पीढ़ी मनाती है। प्रौढ़ आदिवासी भगोरिए के दिनों में मन्नतें मांगते हैं। यह मन्नतें खास कर बुरी दृष्टि से बचने व सुख की कामना के लिए ली जाती हैं।

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इस दौरान आदिवासी जहां ढोल-मांदल के साथ मेला स्थल पर दिखाई देंगे वहीं मांदल की थाप पर थिरकते लोग भी नजर आएंगे।

अब तो मध्यप्रदेश की पहचान बने भगोरिया लोक पर्व को देश-दुनिया भी देख सकेगी। इस पर्व को झाबुआ की एक टीम ऑनलाइन करने जा रही है। एक क्लिक के जरिए आप झाबुआ के भगोरिया को घर-दफ्तर में बैठे-बैठे देख और सुन सकेंगे।

सोशल साइट का माध्यम बनी इस साइट पर भगोरिया की हर तस्वीर व लाइव वीडियो आप देख सकेंगे। भगोरिया पर बन रहा विशेष पेज इस लोकपर्व से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी के साथ सांस्कृतिक तथ्य भी दिखाई देगा।

खास तौर पर मार्च माह में मनने वाले इस पर्व को देखने देशी-विदेशी सैलानी झाबुआ-अलीराजपुर आते हैं। इन जगहों पर भगोरिया को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है।

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