Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

माघ अमावस को करें तर्पण

पितरों को मिलती है तृप्ति

हमें फॉलो करें माघ अमावस को करें तर्पण
- आचार्य गोविन्द बल्लभ जोश
ND

माघ का महीना धर्म, कर्म, स्नान, ध्यान सहित जहाँ अनेक धार्मिक अनुष्ठानों से भरपूर रहता है वहीं इस महीने की अमावस को किया जाने वाला तर्पण-श्राद्ध पितरों की तृप्ति का कारण बनता है। इसीलिए अनेक विद्वत जन पितरों को तृप्त करने के लिए नदी और घाटों पर स्नान, दान एवं तर्पण करने पहुँचते हैं। 2 फरवरी यानी बुधवार को पितृ कर्म की अमावस है।

किस प्रकार से पितरों की आराधना करनी चाहिए इस बारे में जान लेना भी जरूरी है।

माघी अमावस को प्रतिदिन के स्नान दानादि के पश्चात्‌ वस्त्राच्छादित वेदी पर वेद और वेदांग युक्त ब्रह्माजी का गायत्री सहित पूजन कर गौ दान तथा सुवर्ण, छत्र, वस्त्र, चरण पादूका, शय्या, अंजन और दर्पणादि का दान करना चाहिए।

'स्नानं स्वर्गेऽथ पाताले मन्यर्त्ये किचिदुत्तमम्‌। तदवाप्रोत्यसंदिग्धं पद्ययोनेः प्रसादतः।'

इस मंत्र से निवेदन करके अधिकारी विद्वान का सम्मान करना चाहिए।

'यत्किचिंद् वाचिकं पापं मानसं कायिकं तथा। तत्‌ सर्व नाशमायाति युगादितिथिपूजनात्‌' को स्मरण कर शुद्ध भाव से सजातियोंसहित भोजन करें।

इस अवामस को रविवार, व्यतिपात और श्रवण नक्षत्र हो तो इस योग में स्कन्द पुराण के अनुसार सभी स्थानों का जल गंगा के समान पवित्र हो जाता है। और सभी ब्राह्मण विद्वान, भक्त जन ब्रह्मा के समान शुद्ध आत्मा हो जाते हैं। अतः इस योग में स्नान दानादि का फल भी मेरू समान होता है।

webdunia
ND
अर्धोदय योग वाले अमावस्या को साठ, चालीस या पच्चीस माशा सुवर्ण का अथवा चाँदी का पात्र बनाकर उसमें खीर भरें और पृथ्वी पर अक्षतों का अष्टदल लिखकर उस पर ब्रह्मा, विष्णु और शिवस्वरूप उपर्युक्त पात्र को स्थापित करके गंध-पुष्प से पूजन करें और उसके बाद वेद और पुराणों के विद्वान ब्राह्मण को अर्पित कर दें तो उसका पुण्य अंनत फलदायी होता है।

यह अवश्य स्मरण रखना चाहिए कि इस व्रत में गौदान, शय्यादान और भी जो देय द्रव्य हो तीन-तीन संख्या में दें। अर्धोदय योग के अवसर पर सत्ययुग में वसिष्ठ जी ने, रामचन्द्रजी ने, द्वापर में धर्मराज युधिष्ठिर ने और कलियुग में पूर्णोदर (देवविशेष) ने अनेक प्रकार के दान, धर्म किए थे। अतः धर्मज्ञ सत्पुरुषों को अब भी अवश्य यह कार्य करना चाहिए।

कई धार्मिक संगठनों द्वारा धर्म-कर्म एवं दान-पुण्य के आयोजन चल रहे हैं। गरीबों को भोजन, वस्त्र एवं आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया जा रहा है। जरूरतमंदों को भोजन वितरित किया जा रहा है। अतः भोजन भगवान को भोग लगाने की दृष्टि से खिलाया जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi