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शिव ने की थी माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा ग्रहण

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सुख-सौभाग्य तथा समृद्धि की कामना के साथ श्री अन्नपूर्णा व्रत करने वालों ने विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन किया। पूजन के बाद कथा एवं आरती से क्षेत्र में धर्ममय माहौल रहा। रात्रि में अन्नपूर्णा जी की विशेष आरती की गई। यह व्रत महिलाओं द्वारा विशेष रूप से किया जाता है। भक्तों ने भक्ति भाव के साथ मातारानी का पूजन किया। 21 दिनी व्रत के समापन पर हवन में पूणाहुति दी गई। पूजन में विशेष रूप से सुहाग की वस्तुओं का अर्पण किया गया।

प्रतिवर्ष व्रत की शुरुआत अगहन मास की पंचमी तिथि से होती है। जिसमें प्रतिदिन व्रतधारी अन्नपूर्णा देवी का पूजन कर कथा सुनतीं थी। समापन के दिन अन्नपूर्णा देवी को विविध पकवानों का भोग लगाया गया। महिलाओं ने पूजन-अर्चन के बाद पारंपरिक भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी।

भगवान शिव ने माँगी भिक्षा : पौराणिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि सिद्ध धार्मिक नगरी काशी में अन्न की कमी के कारण बनी भयावह स्थिति से विचलित भगवान शिव ने अन्नपूर्णा देवी से भिक्षा ग्रहण कर वरदान प्राप्त किया था। इस पर भगवती अन्नपूर्णा ने उनकी शरण में आने वाले को कभी धन-धान्य से वंचित नहीं होने का आशीष दिया था।

इसी कामना के साथ प्रतिवर्ष अगहन माह में श्री अन्नपूर्णा जी का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। श्री अन्नपूर्णा को माता पार्वती का स्वरूप बताया गया है। अन्नपूर्णा माता का पूजन करने के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।

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