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राजस्थान में जीत के अपने-अपने दावे

-मुकेश बिवाल, जयपुर से

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, बुधवार, 30 अक्टूबर 2013 (18:12 IST)
राजस्थान चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे राज्य के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा अपनी-अपनी जीत के दावे-प्रतिदावे कर कर रहे हैं। भाजपा जहां सर्वेक्षणों को आधार बनाकर अपनी जीत तय मान रही है तो वहीं कांग्रेस चुनाव से पूर्व जनता को दी गई सुविधाओं के भरोसे अपनी जीत की आस लगा रही है।

सट्‍टा बाजार के मुताबिक राजस्थान में भाजपा सत्ता में आ रही है, वहीं ज्योतिषी भी भाजपा की जीत की भविष्यवाणियां कर रहे हैं। दोनों ही पार्टियां फिलहाल टिकट वितरण में उलझी हैं। टिकट फाइनल होने के बाद राज्य में चुनाव प्रचार जोर पकड़ेगा। लोग चाय-पान की दुकानों पर राजनीतिक घटनाओं पर चटखारे ले रहे हैं। हालांकि राजनीतिक हलकों में यह भी माना जा रहा है कि जो भी पार्टी जमीनी और जनता में लोकप्रिय उम्मीवदारों को टिकट देगी, बाजी उसके पक्ष में जा सकती है।

एक बात तय है कि इस बार मुकाबला कांटे का है। कांग्रेस ने चुनावी साल में जनता के लिए कई योजनाएं लागू कीं साथ ही आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले शिलान्यास और उद्‍घाटनों का धुआंधार दौर चला। इन शिलान्यासों पर न सिर्फ विरोधी दल बल्कि जनता ने भी सवाल उठाए कि ये सरकार चार साल तक क्या कर रही थी।

दूसरी ओर भाजपा में मोदी फैक्टर को जोर राजस्थान के मतदाता पर दिखने लगा है। साथ ही पूर्व मुख्‍यमंत्री और वर्तमान में भाजपा की अध्यक्ष वसुंधरा सत्ता में वापसी को लेकर विश्वस्त दिखाई दे रही हैं। वसुंधरा की रैली और सभाओं में काफी भीड़ दिखाई दे रही है। कांग्रेस ने भी अपने स्टार प्रचारक राहुल गांधी की सभाएं कराई हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि दावे भले ही कितने भी हों, लेकिन मुकाबला बराबरी का है। आखिरी समय में ऊंट किस करवट बैठ जाए, कोई नहीं कह सकता।

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