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छुट्टी नहीं तो कर दी अफसर की पिटाई

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नई दिल्ली , बुधवार, 8 जून 2011 (15:28 IST)
रेलवे की अराजकता का हाल यह है कि छुट्टी नहीं देने पर जूनियर कर्मचारी ने सीनियर अधिकारी की जमकर पिटाई की। सीनियर ने इसकी शिकायत अपने से ऊपर के अधिकारी को भी की, लेकिन बड़े अधिकारी ने जूनियर पर कार्रवाई की जगह उसकी छुट्टी मंजूर कर ली। हालांकि रेलवे कैटरिंग में कमीशन के नाम पर मारपीट की यह घटना हुई, लेकिन इसे छुट्टी देने और न देने का मामला बना दिया गया है।

सूत्रों के अनुसार भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम(आईआरसीटीसी) से खानपान विभाग हस्तांतरित होने के बाद रेलवे में कमीशनखोरी का मामला बहुत बढ़ गया है। वहां छोटे फर्म से सामान की आपूर्ति कराई जा रही है, जबकि सूचना के अधिकार से हासिल सूचना के अनुसार ऐसा कोई फर्म रेलवे में सामान आपूर्ति के लिए पंजीकृत ही नहीं है। छोटे फर्म को बड़ी कंपनियों की ओर से अधिकृत दिखाया जाता है, लेकिन उससे बड़ी कंपनियों के साथ-साथ स्थानीय कंपनी का माल भी आपूर्ति कराया जाता है। इसमें मोटा कमीशन बनता है।

तीन जून 2011 को सुपरवाइजर राहुल यादव अपने वरिष्ठ एमए खान के पास पहुंचा और उसने कहा कि मेरी गैरहाजिरी में जितनी सामान की आपूर्ति हुई है उसका कमीशन मुझे दिया जाए। एमए खान ने कहा कि किसी तरह की कमीशन का खेल नहीं हुआ है। इस पर राहुल को तैश आ गया और उसने अपने वरिष्ठ की जमकर धुनाई कर दी। इसकी शिकायत एमए खानने वरिष्ठ डीसीएम से की है, लेकिन राहुल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शिकायत में कहीं कमीशन खोरी की जिक्र नहीं है। सीनियर सीजे एमए खान की शिकायत के अनुसार, सुपरवाइजर विकास, सीजे बी सिंह व सीनियर सीजे विजय यादव के सामने राहुल ने मुझे मारा। इसकी वजह से बाएं हाथ, पैर व दाएं हाथ में चोटें आई है। शिकायत में कहा गया है कि राहुल नियमित रूप से ड्यूटी पर नहीं आता है। वह दो घंटे से अधिक दफ्तर में नहीं बैठता। उसने छुट्टी की मांग की, जिसके लिए मना करने पर उसने मुझे पीटा।

इसकी शिकायत सीनियर डीसीएम के पास तीन जून 2011 को किया गया है, लेकिन उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सूत्र बताते हैं कि राहुल यादव इससे पहले आईआरसीटीसी में था। उसने 24 अगस्त 2007 को भी एक कर्मचारी को पीट डाला था। जिस कारण उस पर नियमानुसार कार्रवाई भी हुई थी। इसके बावजूद सीनियर डीसीएम ने कार्रवाई की जगह उल्टा सात जून 2011 को राहुल यादव को तीन महीने की छुट्टी प्रदान कर दी है। इससे कैटरिंग अधिकारियों में रोष है। इस बारे में उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार यह एक प्रशासनिक मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी।

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