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साध्वी प्रज्ञा पर से मकोका हटाया

मालेगाँव विस्फोट मामले में आरोपियों को राहत

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मुंबई की एक विशेष अदालत ने सन 2008 के मालेगाँव बम विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञासिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद एसपी पुरोहित और नौ अन्य अभियुक्तों के खिलाफ महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) के तहत लगे आरोपों को यह कहते हुए हटा दिया कि उनमें से कोई भी संगठित अपराध की श्रेणी में नहीं आता।

विशेष न्यायाधीश वाईबी शिंदे ने कहा कि अभियुक्तों में से कोई भी संगठित अपराध सिंडिकेट का हिस्सा नहीं है। साथ ही किसी के खिलाफ एक से अधिक अभियोग पत्र दाखिल नहीं है ताकि मकोका के प्रावधान लगाए जाएँ। अब चूँकि भारतीय दंड संहिता के प्रावधान के तहत मामला चलेगा इसलिए सुनवाई नासिक की सत्र अदालत में होगी।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (आतंकवाद रोधी दस्ता) केपी रघुवंशी ने कहा कि वह मकोका अदालत के फैसले को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। आदेश की प्रमाणित प्रति का हमें इंतजार है। उन्होंने कहा कि हमने आदेश के पालन पर स्टे ले लिया है और आदेश को चुनौती देने के लिए हमारे पास चार हफ्ते का समय है।

बहरहाल विशेष न्यायाधीश वाईबी शिंदे ने पुरोहित की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। विशेष अदालत ने मकोका प्रावधान हटाने के आदेश पर चार हफ्ते के लिए रोक लगा दी है ताकि राज्य इसके खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सके। इस बीच महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री नसीम खान ने बताया कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार उच्च न्यायालय का रुख करेगी।

नासिक जिले के मालेगाँव में 29 सितंबर 2008 को हुए बम विस्फोट में सात व्यक्ति मारे गए थे। इससे पूर्व आतंकवाद निरोधी दल ने इस साल 11 अभियुक्तों के खिलाफ 4000 पृष्ठों का अभियोग-पत्र दायर किया था।

अभियोग पत्र में आरोप लगाया गया है कि मालेगाँव को विस्फोट के लिए इसलिए चुना गया कि वहाँ मुस्लिमों की खासी आबादी है। इसमें प्रमुख षड्‍यंत्रकारियों में साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर, पुरोहित तथा स्वामी दयानंद पांडे का नाम शामिल है।

यह आरोप भी लगाया गया है कि पांडे ने ही पुरोहित को आरडीएक्स का इंतजाम करने को कहा जबकि विस्फोट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी की थी। अन्य अभियुक्त अजय राहिरकर ने कथित तौर पर आतंकी कार्रवाई के लिए धन की व्यवस्था की। षड्‍यंत्र नासिक के भोंसले सैन्य स्कूल में रचा गया।

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