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अस्पताल निजी हाथों में देने पर जवाब तलब

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नई दिल्ली , रविवार, 7 मार्च 2010 (14:41 IST)
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनकपुरी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल को निजी हाथों में देने संबंधी याचिका पर शहर की सरकार से प्रतिक्रिया माँगी है।

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) सरकार को नोटिस जारी करते हुए उससे 23 अप्रैल तक जवाब माँगा है।

खंडपीठ जनकपुरी एसोसिएशन ऑफ आरडब्ल्यूए (एक पंजीकृत सोसाइटी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सोसाइटी का आरोप है कि सरकार का अस्पताल को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप से चलाने का प्रस्ताव डीडीए द्वारा जमीन आवंटित करने और लीज पर देने की शर्तों के खिलाफ है।

याचिकाकर्ता का दावा है कि सरकार अस्पताल को पब्लिक-प्राइवेट अधिनियम के तहत स्थानांतरित करने की योजना बना रही है, जो अवैध है।

लगभग 300 बिस्तरों का यह अस्पताल सितंबर, 2008 से डीडीए द्वारा आवंटित 8.82 एकड़ जमीन पर संचालित होता है।

याचिकाकर्ता का दावा है कि इलाके के गरीब लोगों को इस अस्पताल में आसानी से कम दामों पर उपचार मिलता है और अस्पताल के एक बार निजी हाथों में जाने के बाद उपचार महँगा हो जाएगा। (भाषा)

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